Book Title: Siddha Hemchandra Shabdanushasan Bruhad Vrutti Part 01
Author(s): Vajrasenvijay
Publisher: Bherulal Kanaiyalal Religious Trust
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१७
अर्थ :
जिस किस समय में.. जो कोई... जिस किसी नाम से हो... भगवन् ! यदि आप दोष और मल रहित हो तो आपको मेरा नमस्कार हो ।'
आचार्य श्री के मुख से इस स्तुति को सुनकर सिद्धराज अत्यन्त ही प्रभावित हुआ ।
सोमनाथ की यात्रा के बाद सिद्धराज ने हेमचन्दाचार्यजी को पूछा, 'मुझे सन्तान होगी या नहीं ? मेरे बाद गुजरात का राजा कौन बनेगा ?
आचार्यश्री ने अहम तपकी आराधना कर अंबिका देवी की साधना की । प्रसन्न होकर देवी ने कहा, 'सिद्धराज को कोई सन्तान नहीं होगी और दधिस्थली निवासी त्रिभुवनपाल का पुत्र कुमारपाल भावि में गुजरात का सम्राट् बनेगा ।"
यात्रा की समाप्ति के बाद सिद्धराज अपने और भाव में कुमारपाल राजा बनेगा' यह जानकर ही द्वेष भाव उत्पन्न हो गया और कुमारपाल की परन्तु जिसका भाग्य बलवान् होता है, उसका कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है ।
महल में लौट आया । 'मुझे कोई संतति नहीं होगी सिद्धराज के हृदय में कुमारपाल के प्रति अत्यन्त हत्या के लिए उसने अनेक विध षड्यन्त्र रचे ।
सिद्धराज ने कुमारपाल की हत्या के लिए कुछ चुनंदे सैनिकों को आदेश दिया, किन्तु कुमारपाल को इस षड्यन्त्र की गन्ध मिल जाने से गुप्त वेष धारण कर अत्यन्त दूर प्रयाण कर दिया ! सिद्धराज ने कुमारपाल को खत्म करने के लिए अनेक जाल रचे, किन्तु कुमारपाल उसके जाल में फँसा नहीं ।
कुमारपाल का रक्षण :
श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यजी खंभात में बिराजमान थे । एक बार मध्याह्न समये वे स्थंडिल भूमि की ओर जा रहे थे, उसी समय उन्होंने अपनी प्राण रक्षा के लिए भटकते हुए कुमारपाल को देखा । उस समय कुमारपाल की स्थिति अत्यन्त ही दयनीय थी... वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए जहाँ तहाँ भटक रहे थे ।
कुमारपाल ने हेमचन्द्राचार्यजी के चरणों में प्रणाम किया । कुमारपाल अत्यन्त ही थके हुए थे और आश्रय की शोध में थे ।
हेमचन्द्राचार्यजी ने उसके ललाटपट्ट को देखा और सोचने लगे, 'अहो ! यह तो भावि सम्राट् है और भविष्य में जैन शासन की महान् प्रभावना करने बाला है, अतः अवश्य रक्षण करना चाहिये ।
गुजरात का अभी इसका
हेमचन्द्राचार्यजी ने उसे आश्वासन दिया और उसे अपने साथ उपाश्रय में ले आए। उसी समय उदयनमन्त्री गुरुदेव श्री को वंदन के लिए पधारे थे । उदयन मन्त्री ने कुमारपाल की ओर देखा ।
कुमारपाल ने कहा, 'भगवंत ! मेरा दुःख कब दूर होगा ?
आचार्यश्री ने कहा, ' संवत् १९९९ मार्गशीर्ष कृष्णा चतुर्थी रविवार के दिन पुष्यनक्षत्र में दिन के तीसरे प्रहर में तुम गुजरात के राजा बनोगे ।'