Book Title: Siddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Author(s): Santlal Pandit
Publisher: Shailesh Dahyabhai Kapadia

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Page 350
________________ श्री सिद्धचक्र विधान [३३३ के पास एक चौकी रक्खे, जिस पर मङ्गल कलश रक्खा जाए। एक बड़ी संदली पर एक बड़ा और कुछ छोटे कलश जल से भरे रख कर मन्त्र द्वारा जल शुद्ध करे। . जल शुद्धि मन्त्र . (हाथ में चन्दन लेकर कलशों पर छिड़के) ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हः नमोऽर्हते भगवते पद्ममहापद्मतिगिच्छकेसरिपुण्डरीक महापुण्डरीक गंगासिन्धुरोहिद्रोहितास्याहरिद्धरिकान्तासीतासोदा नारीनरकान्ता सुवर्णरूपकूलारक्तारक्तोदापयोधिशुद्धजलमुवर्णघटप्रक्षालितनवरत्न गंधाक्षतपुष्पार्चितमामोदकं पवित्रं कुरु कुरु झं झं झौं वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं पं पं द्रां द्रां द्रीं द्रीं हं सं स्वाहा। इस मन्त्र से जल शुद्धि करे। . वेदी के पास जो चौकी है उस पर अक्षत बिछा कर बड़ा मंगल कलश स्थापन करे, तब यह श्लोक और मंत्र पढ़े-- वेद्य मूले पञ्चरत्नोपशोभं, कण्ठे लांबान् माल्यमादर्मयुक्तं। माणिक्याभं काँचनं पूगदर्भक्वासोभं सद्घटं स्थापयेद्वै॥ मङ्गल कलश स्थापनं करोमि स्वाहा। अब चार छोटे कलश कुण्डों पर स्थापन करे और तब यह मंत्र पढे ॐ ह्रीं स्वस्तये चतुःकलशान संस्थपयामि स्वाहा। फिर कुण्डों पर चार दीपक जला कर धरे, तब यह मंत्र पढ़े-- ॐ ह्रीं अज्ञानतिमिरहरं दीपकं संस्थापयामि स्वाहा। फिर पूजा की सामग्री तथा हवन सामग्री शुद्ध करे, तब यह मंत्र पढ़े ॐ ह्रीं पवित्रतरजलेन शुद्धिं करोमि स्वाहा। फिर डाभ दूब के पूले से हवन की भूमि को झाड़े, तब यह मंत्र पढ़े ॐ ह्रीं वायुकुमाराय सर्व विघ्नविनाशाय कुरु कुरु फट् स्वाहा।

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