Book Title: Shwetambar Murtipuja Sangh Sammelan Prastav Author(s): Akhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti Publisher: Akhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti View full book textPage 2
________________ वि. सं. २०१९, चैत्र कृष्णा ४, ५, तारीख १३, १४, अप्रेल १९६३, शनि-रविवार को अहमदाबादमें सम्मिलित श्री अखिल-भारतीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रमणोपासक श्रीसंघ सम्मेलन द्वारा सर्वानुमति से स्वीकृत प्रस्ताव प्रस्ताव पहला श्री अखिल भारतीय श्रमणोपासक संघ का यह सम्मेलन मानता है कि जैनधर्म वीतराग देव, मौलिक और विपुक ज्ञानसमृद्धि, पंचाचार के पालक, त्यागी और ज्ञानी गुरुओं एवं जीवनशोधक आचार के बल पर ही अद्यापि पर्यन्त टीका हुआ है और विषम परिस्थितियों में भी इसने अपने गौरव को बनाये रक्खा है। अतः हमारे पवित्र तीर्थस्थानों एवं जिनमंदिरों की यथावत् सुरक्षा होती रहे, हमारे ज्ञानभंडारों का संरक्षण एवं उनका उपयोग होता रहे, हमारे पूज्य श्रमणसमुदाय की पवित्रता एवं प्राभाविकता बनी रहे, और हमारे धर्म के आचारकी उच्च प्रणालिका में किसी प्रकारकी क्षति न आने पावे-इसके लिये सजग होकर प्रयत्न करना समस्त श्रीसंघ का पवित्र कर्तव्य है। आज के विषम समय में, जब कि लोगों का आकर्षण भौतिक भोगोपभोग की ओर बढ़ रहा है, अनंत उपकारी भगवान श्री जिनेश्वरदेव द्वारा प्ररूपित मोक्षमार्ग की आराधना करने में दत्तचित्त रहनेवाले कई पूज्य साधु-साध्वीजी महाराज सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक्तपकी आराधना कर रहे हैं, उनकी यह सम्मेलन बहुमानपूर्वक अनुमोदना करता है, और घोषित करता है कि ऐसे साधुसाध्वियों से ही श्री जैन शासन उज्ज्वल और प्रतिभासंपन्न हो रहा है।Page Navigation
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