Book Title: Shwetambar Murtipuja Sangh Sammelan Prastav
Author(s): Akhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti

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Page 13
________________ शिर हो रही है, उसे दूर करने की जिम्मेदारी शीघ्रातिशीघ्र आमासमुदाय स्वयं उठा ले, और श्रीसंघ समिति के सिर से यह जिमोदारी निकट भविष्य में ही दूर हो जाय। ....समस्त श्रीसंघ के पुरुषार्थ से इस प्रकार की सभी श्रुटियाँ शीघ्र निर्मूल हो कर जैनधर्म, जैन संघ और जैन संस्कृति के प्रभाव व गौरव में खूब अभिवृद्धि होती रहे, और विश्व के आज के हिंसामान्य और संक्षुब्ध वातावरण में जैन संस्कृति का "मित्ती मे सबभूऐसु" का विश्वमैत्री का अमर सन्देश फैलाकर हम हमें प्राप्त जैनधर्म की अहिंसा की भावना की प्रभावना करें। ___ शासनदेव हमें ऐसे बुद्धि और बल दे, इस हार्दिक भावना और प्रार्थना के साथ यह सम्मेलन इस प्रस्ताव से "श्रीसंघ समिति" की स्थापना करता है। [गुजरातीसे अनूदित]

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