Book Title: Shuklyajurvediya Rudrashtadhyayi Prarambh
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु० वग्नितडित्प्रतप्तकनकंसंसिद्धतेजोरुणं गंभीरस्मितनिःसृतोग्रदशा अ. 3 नंप्रोद्भासिताम्राधरम् // बालेंदुधृतिलोलपिंगलजटाभारप्रबद्धोरगं / / वंदेसिद्धसुरासुरैश्चनमितंपूर्वमुखंशूलिनः (पूर्वमुखध्यानम् // 4 // व्यक्ताव्यक्तगुणोत्तरंसुवदनंपड़िशतत्वाधिकम् तस्मादूईजवक्रम है। क्षयमितिध्येयंसदायोगिभिः // वन्देतामसवर्जितेनमनसासूक्ष्मा / चसूक्ष्मपरं शांतंपञ्चममीश्वरस्यवदनंखंव्यापितेजोमयम् // इत्यू | 3 विक्रध्यानम्॥५॥ विनाभस्मत्रिपुंडेणविनारुद्राक्षमालया॥ पूजितो? SSCREELECORECASCUL For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87