Book Title: Shuklyajurvediya Rudrashtadhyayi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 62-63-62 ACRECRUCIRCak 20 ये युज्ञस्तायतेसुप्प्तहोतातन्मे मनःशिवसङ्कल्प्पमस्तु ११।यस्मि अ. हनचुः॥ यस्मिन्चत्सामुयजूंषियस्म्मिन्प्रतिष्ठितारथनाभाविवा 2 रातोयस्मिंश्चित्त: सर्चमोतंम्पजानान्तन्मेमनःशिवसङ्कल्प्पमस्तु / // 12 // सुपारथिरश्वा // सुपारथिरश्वानिवयन्मनुष्ष्यान्नेनीयतभी / शुभिर्वा जिनऽइव // हृत्प्रतिष्ठेच्यदंजिरअविष्टन्तन्मेमनःशिव है। सङ्कल्प्पमस्तु // 13 // इति श्रीरुद्रजाप्येप्रथमोऽध्यायः // 1 // सिंहस्रशीर्षा // संहस्रशीर्षापुरुषत्सहस्राक्षःसहस्रपात् // सभूमि / / * सहस्रमसंख्यानिसर्वप्राणिशिरांसियस्यसः / “सहस्रशीर्षा, इत्यारभ्य, 16 यज्ञेनयन० सन्तिदेवाः, पर्यन्तम्पुरुषसूक्तक्षेपम् / %A4%A5%E5%95956) For Private And Personal Use Only

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