Book Title: Shuklyajurvediya Rudrashtadhyayi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु० देवाऽअग्ग्रेतदंब्रुवन // यस्त्वैवम्ब्राह्मणोविद्यात्तस्यदेवाऽअसुन्च अ. शे // 21 // श्रीश्च // श्रीचैतेलुम्मीश्चुपत्न्याबहोरात्रेणार्श्वन | 3 क्षेत्राणिरुपमुश्चिनौव्यात्तम् // इष्ष्णनिषाणामुम्मऽइषाणसर्वलो / / कम्मऽइषाण // 22 // श्रीरुद्रजाप्येद्वितीयाध्यायः // 2 // ॐ आशुशिशानः॥आशुशिशानोवृषभोनीमोघनाघुनःक्षोभणा / चर्षणीनाम् // सुक्रन्दनोनिमिषऽएकवीरःशुत: सेनाऽअजय ХҮЗЕХСЕКЕЗЕX-XX SARALACHARCHECRECRAS 1 कर्म फलमिच्छन्सन्। 2 गच्छ अनुगृहाण। 3 परलोकम् / 4 मे-मम परलोकः समीचीनोस्तु // For Private And Personal Use Only

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