Book Title: Shuklyajurvediya Rudrashtadhyayi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है यत्पुरुषव्यदधुत्कतिधात्यकल्पयन् // मुखकिमस्यासीत्किम्बाह है। किमरूपादाऽउच्यते // 10 // ब्राह्मणोस्य // ब्राह्मणोस्यमुखमा / सीडाहूराजन्य कृतः // उसृतदस्युयद्वैश्श्य-पद्भयाशूद्रोऽअजा है। यत // 11 // चन्द्रमाम सह // चन्द्रमामनसोजातश्चोत्सृथ्र्योऽ / अजायत // श्रोत्राद्वायुश्चप्पाणश्चमुखादग्निरंजायत // 12 // 3 // नाब्भ्योऽआ॥ नाभ्याऽआसीदन्तरिक्षठ शीष्र्णोद्यौसमवर्तत // पुद्भ्यांभूमिर्दिशुल्श्रोचात्तालोका २ऽअकल्पयन् // 13 // GHRELECRUARCHERRC 6 1 प्रजापतेर्नाभे / 2 कर्णात्ः। 3 अन्तरिक्षादीन् / 4 देवा उत्पादितवन्तः देवमनुष्यादिति खिलस्थावरजङ्गमादित्रैलोक्यम् // For Private And Personal Use Only

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