Book Title: Shrutsagar Ank 2012 10 021
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २ www.kobatirth.org लेख ૧. જન્મવર્ષાપન દિન ઉજવણી : એક દૃષ્ટિપાત ૨. ધર્મની રક્ષા કાજે 3. नवननां ठूलो भाग - १,२ ४. ज्ञानमहिर अर्थ अडेवाल, सप्टेम्बर-१२ ૫. ગુરુભક્તિ, શ્રુતભક્તિ અને શાસનભક્તિનું સ્મરણ ६. समाचार सार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य भगवन्त श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब ने भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन • अपने उपकारी जीवन के ७७ वर्ष पूर्ण कर ७८वें वर्ष में प्रवेश किया। पूज्यश्री के संयमजीवन का ५८वाँ वर्ष चल रहा है । इन ५८ वर्षों में पूज्य आचार्य भगवन्त ने जिनशासन के उन्नयन के लिये अनेक कार्यों को अंजाम दिया है तथा भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा अपने संघमजीवन के प्रारम्भ से ही पूज्यश्री का पुण्य इतना प्रबल रहा है कि एक से एक सिद्धियाँ इनके चरणों में आती रहीं और इनका प्रभाव बढ़ता रहा। तीर्थोद्धार का कार्य हो, श्रुतोद्धार का कार्य हो, समाज एकता का कार्य हो, सामाजिक मान्यताओं में विरोध हो, हर कार्य में पूज्यश्री ने उतनी ही चतुराई से सभी समस्याओं का समाधान करवाया। इनके निर्णय से सभी पक्ष एकमत हुए और एकमंच पर आये। अभी दिनांक २६ सितम्बर से ३० सितम्बर, १२ तक पूज्य आचार्यश्री का जन्मवर्धापन पंचाह्निका महोत्सव सम्पन्न हुआ है। दिनांक ३० सितम्बर, १२ को मुख्य कार्यक्रम टाउन हॉल, गांधीनगर में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से हजारों गुरुभक्तों ने उपस्थित होकर पूज्यश्री के दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना की। इस अवसर पर जैन समाज के प्रखर चिंतक मनीषी पद्मश्री कुमारपालभाई देशाई ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए उन्हें युगपुरुष के रूप में स्थापित किया। श्री मंगलप्रभात लोढा, एम. एल. ए. मुंबई ने तो कहा कि भले हमने स्वामी विवेकानन्द को नहीं देखा, सुभाषचन्द्र बोस को नहीं देखा, सरदार पटेल को नहीं देखा, महात्मा गाँधी को नहीं देखा लेकिन स्वामी विवेकानन्द की निस्पृहता, सुभाषचन्द्र बोस का साहस, सरदार पटेल की चतुराई एवं महात्मा गाँधी की सादगी यदि मैं देखता हूँ तो वह सभी गुण पूज्य आचार्य भगवन्त श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज में विद्यमान हैं। इस मंगलमय अवसर पर गुरुभक्तों ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए पूज्यश्री के अनेकविध सुगंधित गुणों व कार्यों की चर्चा की एवं उन्हें महान जैनाचार्यों की परम्परा में देदीप्यमान नक्षत्र की तरह बताया। इतना तो सच है कि पूज्यश्री का संसारी जीवन भी अनेक उपलब्धियों से भरा हुआ रहा है और इसी कारण उन्हें प्रेमचन्द के बदले लब्धिचन्द के नाम से पुकारा जाता था। संयमजीवन में भी इन्होंने ऐसे-ऐसे कार्य कर दिखाए हैं कि इनका नाम जैनाचार्यों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। भारतभर में ही नहीं विदेशों में भी पूज्यश्री ने जिन मन्दिर निर्माण की प्रेरणा दी है और वहाँ प्रतिमाजी की अंजनशलाका करके स्थापित करने हेतु भिजवाई हैं । नेपाल की राजधानी काठमांडु में तो स्वयं ही पहुँचकर भव्य जिनालय की स्थापना कराकर अंजनशलाका प्रतिष्ठा करवाई । गांधीनगर के बोरिज में विश्वमंत्री धाम की स्थापना कराकर समाज को अनुपम भेंट दी है। श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा पूज्यश्री की अमरकृति है और जिनशासन के उन्नयन में सदैव अग्रसर है। श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा की आत्मा आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में पूज्यश्री ने श्रुतज्ञान की विरासतों को संकलित कर संशोधकों विद्वानों के लिये एक अमूल्य संशोधन केन्द्र दिया है। जैन शिल्प व स्थापत्य कला के अजोड़ पुरातात्विक वस्तुओं का संकलन तो अपने आप में बेमिसाल है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए पद्मश्री कुमारपालभाई देसाई ने पूज्यश्री के जन्मवर्धापन महोत्सव पर अपने वक्तव्य में कहा कि कोबातीर्थ में पाँचों तीर्थ बरो हुए हैं धर्मतीर्थ, श्रुततीर्थ, कलातीर्थ, स्वाध्यायतीर्थ और मुमुक्षुतीर्थ | पूज्यश्री का विशाल शिष्य-प्रशिष्य परिवार जिनशासन के उन्नयन में चार चाँद लगा रहा है। जिनशासन को समर्पित पूज्यश्री का जीवन स्वयं में एक विशाल संस्था का रूप धारण कर चुका है। आईए, हम ऐसे चमत्कारी राष्ट्रसन्त को कोटिशः वन्दन करें और उनके दीर्घायु व स्वस्थजीवन की कामना करें। अनुक्रम For Private and Personal Use Only अक्तुबर २०१२ लेखक પારુલબેન ભરતકુમાર ગાંધી સ્વ. રતિલાલ મફાભાઈ શાહ કનુભાઈ એલ. શાહ પદ્મશ્રી કુમારપાળ દેસાઈ डॉ. हेमंतकुमार पृष्ठ 3 ५ ૭ ८ ૯ १२

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