Book Title: Shrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir April-2016 धन धन श्रीसंघ... धन धन श्रीसंघ... SHRUTSAGAR 23 घरि घरि ओछव अति घणा हुंवारी लाल, तरीया तारे अघ हरे हुं वारी लाल। याचक दान दीधां घणां हुं वारी लाल, विजयाणंदनो सोभाव्यो पाट रे हुंवारी लाल ॥१०॥ श्रीगुरुने पगलां करावतां हुं वारी लाल, दीपे वस्त्र मनोहार रे हुंवारी लाल। असन पान खादिम स्वादने हुं वारी लाल, उचित करे व्यवहार रे हुं वारी लाल ॥११॥ अनंतकल्याणी संघना हुं वारी लाल, केतां करीये वखाण रे हुं वारी लाल । नमो तित्थस्स जिन मुखे कहे हुं वारी लाल, रोहिणाचलनी खाण रे हुं वारी लाल ॥१२॥ देस-परदेस विख्यातता हुं वारी लाल, सिणोर गामनो संघ रे हुंवारी लाल। धन खरचंता आगला हुंवारी लाल, कृपणभाव उल्लंघ रे हुं वारी लाल ॥१३॥ नव नवा चैत्य करावता हुंवारी लाल, करे प्रतिष्ठा रंग रे हुं वारी लाल। तिहां पण द्रव्य खरचे भला हुंवारी लाल, धर्ममांहे एकंगरे हुंवारी लाल ॥१४॥ धन धन ए श्रीसंघने हुंवारी लाल, धन धन ए अवतार रे हुंवारी लाल । धन धन श्रावक वंशने हुंवारी लाल, स्वगछदीपावणहार रे हंवारी लाल ॥१५॥ धन धन श्रीसंघ... धन धन श्रीसंघ... धन धन श्रीसंघ... धन धन श्रीसंघ... 1.पाप 2.स्वादिम 3.ओळंगी, दूर करी For Private and Personal Use Only

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