Book Title: Shrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 27 SHRUTSAGAR April-2016 श्रमण समुदायों के साथ केसरियाजी उपस्थित हुए, वहाँ से सभी पूज्य भगवंत भव्य शोभायात्रा के साथ पारणा भवन में पधारे. वहाँ विशाल सभामंडप में शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी के प्रमुख श्री संवेगभाई, ट्रस्टी श्री श्रीपालभाई आदि तथा पूरे भारतवर्ष व विदेशों से पधारे हुए जैनसंघों के प्रमुख व हजारों की संख्या में जनसमूह इकट्ठा हुआ. शासन के शिरमोर इतने पूज्य गुरु भगवंतों के स्वागत व सामूहिक वंदन का सब को पहली बार दुर्लभ लाभ मिला. ___तपागच्छाधिपति विजयप्रेमसूरीश्वरजी महाराजा की प्रेरणा व आशीर्वाद से हो रहे इस संमेलन में निश्रा-नायक राष्ट्रसन्त आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. ने गंभीर व बुलंद स्वर में मंगलाचरण किया. इस मंगलाचरण की पूर्ति प्रवर समिति के श्रेष्ठ आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के प्रभावकारी मंगलश्लोकों के साथ हुई. निश्रानायक आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वजी ने अपने प्रारम्भिक उद्बोधन में सब को सम्मानित किया तथा सम्मेलन की गहन-गम्भीर चर्चाओं की मधुर-स्मृतियों का पुनःस्मरण किया. पूज्यश्री ने कहा कि सम्मेलन के प्रारम्भ से समाप्ति तक लिए गए सभी निर्णय जिनशासन की महान परम्पराओं के अनुरूप सम्पूर्ण रूप से शास्त्रसापेक्ष किए गए हैं. इसमें सभी गच्छों ने अपनी पूर्ण परिपक्वता दर्शाते हुए संपूर्ण सहयोग प्रदान किया. पूज्यश्री ने विशेष में यह बताया कि मेरी यह भावना है कि सम्मेलन की सफलता के आधार पर निकट भविष्य में श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय के सभी गच्छों का एक विराट सम्मेलन आयोजित किया जाए और उसमें श्रीसंघ तथा जैन समाज को व्यापक रूप से स्पर्श करनेवाले मुद्दों के ऊपर चर्चा-विचारणा की जाए. उसके बाद वयोवृद्ध आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी ने अपनी प्रौढ व गम्भीर वाणी में सब को उनके भावी कर्तव्यों का भान कराया. उनके उद्बोधन के बाद जैनशासन के वरिष्ठ पण्डितवर्य श्री वसन्तभाई ने सम्पूर्ण सभा को अपनी विशिष्ट शैली में सम्मेलन सम्बन्धी बहुत सारे अंतरंग हृदयस्पर्शी मुद्दों का वर्णन करते हुए उपस्थित जन समुदाय को भावविभोर किया. __ तत्पश्चात् सम्मेलन के निर्णयों की घोषणाएँ सुनने को आतुर श्रीसंघ के समक्ष सम्मेलन के कुशल संचालक गच्छाधिपति आचार्य श्री अभयदेवसूरीश्वरजी महाराजा ने अपने श्रीमुख से सम्मेलन में लिए गए निर्णयों को पढ़कर सुनाया. पूज्यश्री जैसेजैसे एक-एक प्रस्ताव को पढ़ते जाते थे, वैसे-वैसे समग्र सभा में हर्ष व आनंद की For Private and Personal Use Only

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