Book Title: Shrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 31 में पूज्यश्री की जो सकारात्मक जीवन छवी रही है उसी का यह प्रभाव था. आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरि समुदाय हेतु गौरवप्रद बात यह भी बनी कि सम्मेलन के लिये गठित विचार-विमर्श समिति में पूज्यश्री के शिष्य आचार्य श्री अजयसागरसूरिजी की नियुक्ति होते ही उन्होंने उस समिति की सम्मेलन से पूर्व होने वाली बैठकों में उपस्थित रहने के लिये पालीताना स्थित सभी समुदायों के विलक्षण व प्रतिभा संपन्न पूज्यों हेतु रास्ते खुलवा दिये. सम्मेलन के पूर्व विचार-विमर्श समिति ने सभी के साथ मिलकर भारतभर के श्री संघों आदि से समय-समय पर आए ६०० से भी अधिक पृष्ठों जितने सुझावों का अध्ययन व उन पर विस्तार से विमर्श किया और महत्त्वपूर्ण मुद्दों का संकलन करके प्रवर समिति के समक्ष रखा. और इन्ही में से महत्तम सुझावों को मान्य रखकर सम्मेलन में उन पर चर्चा की गई. सम्मेलनों के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि सभी ओर से सूचन मंगवाए गए हों और उन्हें इतनी अहमियत दी गई हो. पू. आ. श्री अजयसागरसूरिजी इन सब बैठकों का समन्वय करते हुए एक तरह से इस समिति के अघोषित संयोजक की भूमिका में आ गए थे. April-2016 इन बैठकों का एक अहम पहलू यह भी था कि इन में हर समुदाय के साधुओं 'खुल कर अपने सुझाव व मंतव्य रखे. मात्र जिनशासन के हितों को ही सर्वोपरि रख कर सारी विचार यात्रा हुई. देर तक बडे ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई इन बैठकों ने सम्मेलन की भव्य सफलता का मानो एक तरह से सूत्रपात ही कर दिया था. अधिकांश मुद्दों की इतनी अच्छी स्पष्टताएँ हो गई थीं कि सम्मेलन में उन मुद्दों के प्रस्ताव अल्प चर्चा के साथ ही पारित हो गए. इस तरह का प्रयास इस से पूर्व के किसी भी सम्मेलन में नहीं हुआ था. यह अपने आप में प्रथम प्रयास था, जो बडा ही फलदाई सिद्ध हुआ. सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के मुख्य बिन्दु खाली हुए जैन आबादीवाले क्षेत्रों के मन्दिरों में रही हुई बड़ी संख्या में प्रभु प्रतिमाओं का योग्य आयोजन कर अन्य संघों आदि के नए मन्दिरों में देना. २. भविष्य में हाईवे पर नए तीर्थ नहीं बनाए जाएँ. ३. जिनपूजा, नए बन रहे जिनमन्दिर तथा मूर्तियों में शास्त्रोक्त पद्धति ही अपनाई For Private and Personal Use Only जाए. ४. प्राचीन तीर्थों के अनावश्यक जीर्णोद्धार पर प्रतिबन्ध लगाया जाए, अनिवार्य हो वहाँ ऐतिहासिकता व कलात्मकता नष्ट न हो, इस हेतु योग्य कदम उठाए जाएं.

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