________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
30
अप्रैल-२०१६
श्रुतसागर
तीर्थाधिपती प्रथमजिन, पुंडरिकस्वामीजी, प्रसंग के आशीर्वाददाता प्रेमसूरिजी, निश्रादाता पद्मसागरसूरिजी, पेढी की उपस्थिती, कार्यक्रम का स्थान पारणाभवन, पालिताणा के प्रसिद्ध पैंडे व पवन इस प्रसंग की सुमधुर परिमल को सर्वत्र प्रसारित करे इसी सुभकामना साथ के प्रसंग की पूर्णाहूति की.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संमेलन में आ. श्री पद्मसागरसूरि म.सा. का स्थान
निश्रानायक आचार्य प्रवर श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी का सम्मेलन में पधारना बडा ही शकुन दायक सिद्ध हुआ. अपनी नादुरुस्त तबीयत के कारण पूज्यश्री सम्मेलन में नहीं पधारने वाले थे. परंतु तपागच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री प्रेमसूरीश्वरजी स्वयं उपस्थि न रह सकने के संयोग बनने से उन्हों ने खुद आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी को सम्मेलन सुचारु रूप से संपन्न हो इस हेतु पालीताना पधारने का आग्रह किया. इसी आग्रह को ले कर प्रवर समिति के संयोजक आचार्य श्री अभयदेवसूरीश्वरजी स्वयं कोबा तीर्थ में रूबरू मिलने पधारे एवं सम्मेलन में उपस्थित रहने वाले प्रवर समिति के आचार्यवर्य श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजी का आग्रह आया कि यदि आप नहीं पधारते हैं तो फिर मेरे आने का भी मतलब नहीं. अंततः पूज्यश्री ने अपनी दूरंदेशिता बताते हुए स्वास्थ्य को गौण किया एवं शासन को अग्रक्रम में रखा. पूज्यश्री सम्मेलन में मात्र पधारे ही नहीं परंतु हर सत्र में अपनी पूर्ण उपस्थिती दी और समग्र कार्यवाही सुचारु चले उस हेतु यथावसर सभी को कुशलता पूर्वक प्रेरित भी करते रहे.
पूज्य प्रेमसूरीश्वरजी की अनुपस्थिति के समाचार से वातावरण में जो एक तरह की मायूसी छा गई थी वह पूज्यश्री के पधारने के समाचार मात्र से खुशी की लहर में बदल गई. अन्य जो आचार्य भगवंत सम्मेलन में आने की बात को लेकर दुविधा में थे उन्होंने भी निर्णय कर लिया कि अब तो आना ही है. सच ही पूज्यश्री का पधारना सम्मेलन की भव्य सफलता का बहोत बडा आधारस्तंभ बना.
जो एक पक्ष काफी प्रयासों के बावजूद भी अपनी वजहों से सम्मेलन में शरीक नहीं हुआ है उस वजह से प्रारंभ में वातावरण सहज नहीं था. परंतु सभी की चिंता के विपरीत समूचे सम्मेलन के दौरान सारा वातावरण बडा ही अनुकूल रहा. बल्कि उस पक्ष के सब से वरिष्ठ आचार्य उद्घोषणा समारोह के दिन प्रातः जयतलेटी में चैत्यवंदन के समय अनायास पूज्यश्री के साथ इकट्ठे हो गए तब उहोंने पूज्यश्री को आग्रह किया कि अपने साथ ही गिरिराज का चैत्यवंदन करेंगे एवं आप बडे हैं तो आप ही चैत्यवंदन प्रकाशित करेंगे. यह दृष्य देखकर वहाँ उपस्थित सभी आनंद विभोर हो गए. सारे संघ
For Private and Personal Use Only