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तीर्थाधिराज श्री शत्रुंजय की धन्यधरा पर निश्रानायक राष्ट्रसंत प.पू. आ. श्री पद्मसागरसूरि म.सा. आदि की निश्रा में शासनोन्नति व श्रीसंघ के वर्तमान प्रश्नों के सुखद समाधानकारी विशाल श्रमण सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न
सिद्धगिरि पालीताना में पहली बार विशाल जैन श्रमण सम्मेलन का आयोजन हुआ. तपागच्छाधिपती प. पू. आ. भ. श्रीप्रेमसूरीश्वरजी महाराजा की प्रेरणा से प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम में निश्रादाता राष्ट्रसंत प. पू. आ. भ. श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा, प्रवर समिति के वरिष्ठ आचार्य प. पू. आ. भ. श्रीहेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा (नेमिसूरि समुदाय), संमेलन के संचालक प. पू. आ. भ. श्रीअभयदेवसूरीश्वरजी महाराजा, प्रवर समिति के प. पू. आ. श्री दौलतसागरसूरि महाराजा, आदि १८ गच्छाधिपती, ५०० से अधिक साधु भगवंत, २००० से अधिक श्रमणीवृंद उपस्थित थे. श्रावक-श्राविकाओं की संख्या कई हजारों में थी.
एक से बढकर एक ५०० से अधिक प्रतिभासंपन्न साधुओं के सहयोग से १८ गच्छाधिपतियों के द्वारा दि. २६/०३/२०१६ शनिवार से ०२/०४/२०१६ शनिवार तक वर्तमान जैन समाज व शासन के कई प्रश्नों पर गंभीर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया गया, तथा नौंवे दिन दि. ०३/०४/२०१६ रविवार को भव्य कार्यक्रम के तहत उद्घोषणा की गई.
आठ-आठ दिन तक किए गए इस महामंथन में कौन सा अमृत प्रगट किया गया होगा उसकी जानकारी के लिये समस्त श्रीसंघ अतीव उत्सुक था.
नौंवे दिन उद्घोषणा कार्यक्रम हेतु पारणाभवन में विशाल संख्या में जब श्वेतवस्त्रधारी श्रमणवर्ग का आगमन हो रहा था उस समय का दृश्य जिन्होंने देखा वह धन्य हो गए. लगता था कि सफेद क्षीरसागर ही आज पालीताना में उभर रहा है. पालीताना में जहाँ देखो वहाँ शुक्लता व शुभ्रता ही छायी नजर आ रही थी. सामान्यतः ऐसे किसी भी प्रसंग में श्रावक वर्ग ज्यादा व साधुगण कम होते हैं, यहाँ तो नजर करो वहाँ साधु ही साधु नजर आते थे. पहली बार इतनी संख्या में श्रमणवर्ग का मिलन हुआ है.
उद्घोषणा की उषा
वीर संवत् २५४२, विक्रम संवत् २०७२ फाल्गुन कृष्णपक्ष एकादशी रविवार, दि.०३/०४ /२०१६ को सुबह साढ़े आठ बजे सभी गच्छाधिपति अपने विशाल
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