Book Title: Shrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Author(s): Vijay Doshi
Publisher: Vijay Doshi

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Page 8
________________ 09009009090900909090900909009009009009090900909090905 ॐ ह्रीं श्री आदिनाथाय नमः ॐ ह्रीं ऐं श्रीं सरस्वत्ये नमः श्रुत-भीनी आँखों में बिजली चमके प्रकाशकीय निवेदन चरम तीर्थाधिपति भगवान महावीर स्वामी देशना में समझा रहे हैं “आप घोर अंधेरे में बैठे हो, आकाश में विद्युत की चमक होवे मात्र यही संभावना है । थोड़े से समय में ही, इस विद्युत की चमक में सुई में धागा पिरोना पड़े तो ...? यह अति कठिन एवं विशेष शक्तिमय अनन्य पुरुषार्थ से भी दुष्कर है । इससे भी दुष्कर जिन प्रज्ञप्त सम्यक दर्शन' प्राप्त करना है। द्वादशांगी श्रुत के अध्ययन, श्रवण या उसकी सीख प्राप्त करते मानो कि आध्यात्म की बिजली का चमकारा, भव्यात्मा की आंखों को भीनी-भीनी किए बिना ना रहे, तब अगम्य अनुभव के आश्चर्य में मन पुकार उठे, श्रुत-भीनी आँखों में बिजली चमके...।' दुष्कर ऐसे सम्यग्दर्शन को पाने की चाहना में, जैन धर्म के गहन रहस्यों का समाधान, स्वाध्याय, श्रद्धा एवं समर्पण भाव के सिवाय प्राप्त नहीं किया जा सकता । वीतराग की वाणी का प्रभाव अचिंत्य है । जैसे-जैसे हृदय में यह वासित हो जाता है, वैसे-वैसे उसके श्रुत में आँखें भीनी होती जाती हैं और धीरे-धीरे अंत:प्रकाश फैलने लगता है, तब जो 'सम्यग्दर्शन' ही बिजली की चमक के रुप में श्रुत भीनी आंखों में चमके तो यह पल कैसा होगा ? यह अनुभव कैसा होगा ? कुछ आध्यात्म पूर्ण इस अनुप्रेक्षा में प्रस्तुत संकलन को नाम मिला, 'श्रुत-भीनी आँखों में बिजली चमके'। _1967 में अमेरिका आने के बाद अभ्यास आदि क्षेत्र में इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त की। 1970 में विवाह, 1973 में पुत्री जन्म एवं 1976 में पुत्र जन्म हुआ । सांसारिक जवाबदारी बढ़ती गई, साथ ही दोनों संतानों के धर्म संस्कारों की चाह को वेग भी देना था। 1982 में जैन संघ के समस्त बड़े तथा बालकों को भी जैन धर्म के शिक्षण का वेग मिले इस हेतु से MUHIM OMIIIIIIIIII

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