Book Title: Shrimadbhi Pratyekbuddhairbhashitani Rushibhashit Sutrani
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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वारत्तयज्झ यण२० कामरवकयण २८
" तु हायती ॥३॥ जे लक्षणसुमिणपहेलियाउ, अक्खाइयाई य कुतूहलाओ । भद्द (तहाय) दाणाई णरे पउंजए , सामण्णभावस्स महंतरं खु
से ऋषिभाषि-1॥४॥ जे चोलकउवणयणेसु वावि , आवाहवि (वी) वाहवधूवरेसु य। जुज्जेइ जुझसु य पत्थिवाणं, सामण्णभावस्स महंतर खु से तेषु
जे जीवाण हेतुं पूयणट्ठा, किंची इहलोकसुहं पउंजे। अद्धि(ही)ऽवि सेए सुपयाहिणे से, सामण्णभावस्स महंतर खु से ॥६॥ ववगयकुरु जे संछिपणसोते , पेज्जेण दोसेण य विप्पक्मुको। पियमप्पियसहे अकिंचणे य , आतटुं ग जहेज धम्मजीवी ॥ ७॥ ॥ एवं से सिद्ध ० ॥२७॥ वारत्तयणामझयणं ।। २७॥
सिद्धि ॥ छिण्णसोते भिसं सव्वे , कामे कुणह सव्वसो। कामा रोगा मणुस्साणं , कामा दुग्गतिवडणा ॥१॥ गासेवेज मुणी गेही, एकन्तमणुपस्सतो। कामे कामेमाणा , अकामा जंति दोन्गति॥२॥ जे लब्भति कामेसु , तिविहं हवति तुच्छ से । अज्झोबवण्णा कामेसु , बहवे जीवा किलिसंति ॥३॥ सल्लं कामा विसं कोमा, कामा आसीविसोवमा । बहुसाधारणा कामा , कामा संसारवडणा ॥४॥ पत्थंति भावओ कामे , जे जीवा मोहमोहिया। दुग्गमे भयसंसार , ते धुवं दुक्खभागिणो ॥५॥ कामसल्लमणुद्धित्ता । जंयवो काममुच्छिया। जरामरण कंतारे , परियति वक्कम ॥ ६॥ सदेवमाणुसा कामा, मए पत्ता सहस्ससो। न याहं कामभोग सु, तित्तपुव्वो कयाइवि ॥ ७॥ तत्तिं कामेसु णासज्ज', पत्तपुव्वं अणंतसो। दुक्ख बहुविहाहाकार, कक्कसं परमासुभं ॥ ८॥ कामाण मग्गणं दुक्ख', तित्ती कामसु दुल्लभा । विज्जुज्जोतो परं दुक्ख, तण्हक्खयपरं सुहं ॥६॥ कामभोगाभिभूतप्पा, विच्छिण्णावि णराहिवा फीति' खिति' इमं भोच्चा, दोग्गति विवसा गता ॥ १०॥ काममोहितचित्तेणं, विहाराहारकंखिणा। दुग्गमे भयसंसारे, परीत' केसभा गिणा ॥ ११ ॥ अप्पत्तावराहोऽयं, जीवाण भवसागरो। सेओ जरगवाणं वा, अवसागंमि दुत्तरो ॥ १२ ॥ अप्पक्कतावराहेहिं, जीवा
सा || २४ ।।
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