Book Title: Shilki Nav Badh Author(s): Shreechand Rampuriya, Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha View full book textPage 3
________________ विषय-सूचा किया पृष्ठ १-५ दो शब्द भूमिका १-ढाल १ (दुहा ८ : गाथा ८): मंगलाचरण में जगद्गुरु नेमिनाथ की स्तुति (दोहा १-४); युवावस्था में ब्रह्मचर्य धारण करनेवाले की बलिहारी (दो० ५); विषय-सुख में लुभायमान न होने का उपदेश (दो० ६); दस दृष्टान्त कर दुर्लभ मनुष्य-जीवन में बाड़ सहित ब्रह्मचर्य-पालन करने की सार्थकता (दो०७); संक्षेप में शील के गुण-कथन की प्रतिज्ञा (दो० ८); शीलरूपी कल्पतरु के सेवन से अक्षय सखों की प्राप्ति (गाथा १) ) = TET पाना कि-शिक सम्यक्त्व सहित शील व्रत-पालन से संसार का अन्त (गा० २); जिन-शासन को नंदनवन की उपमा (गा० ३); इस नदनवन के शीलरूपी कल्पवन के विस्तार का वर्णन शील द्वारा संसार-समुद्र से उद्धार (गा० ७); समाधि-स्थानों का मल स्रोत उत्तराध्ययन सत्र का हवां अध्ययन (TIOET -टिप्पणियाँ २-ढाल २ (दहा ८: गाथा १०): पहली बाड. FAV O TE FR EE१-१५ नौ बाड़ और दसवें कोट के वर्णन की प्रतिज्ञा (दोहा १); ब्रह्मचारी की खेत के साथ उपमा और शील-रक्षा की बाड़ों की आवश्यकता पर प्रकाश (दो० २-३); ES बाड़ों के उल्लंघन न करने से ब्रह्मचर्य की सिद्धि (दो० ४); - मार्ग का गिर पहली बाड़ के स्वरूप की व्याख्या (दो० ५-६); नारी-संगति से शंका, मिथ्या कलंक आदि दोषों की संभावना (दो०७) Bi in एकान्तवास की उपादेयता (दो०८ नि:ब्रह्मचर्य व्रत के अच्छी तरह पालन करने और बाड़ के भङ्ग न करने का उपदेश (गाथा १); PHOTEL मा SFE - बिल्ली और कूकड़-चूहे-भोर का दृष्टान्त (गा २) संसक्तवास के त्याग का उपदेश (गा० ३); 1111115 11 की मांग सौ वर्ष की विकलाङ्गी डोकरी के साथ रहने का भी निषेध (गा०४); कप : Siege सास के सा दृढ़ ब्रह्मचारी के लिए एकान्तवास का ही नियम (गा-५); 32 संसक्तवास से परिणामों के चलित होने की संभावना (गा०६), मामा सिंहगफावासी यति के पतन की कथा (गा. ७) कुलबालूड़ा साधु के पतन की कथा (गा०८); नारी और ब्रह्मचारी की संगति की चूहे और बिल्ली की संगति से तलना (गा०६); उपसंहार (गा० १०)। टिप्पणियाँ READ Scanned by CamScannerPage Navigation
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