Book Title: Shatpanchashitika Sangrahini Author(s): Dharmkirtivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ जून २००८ आसमपयंमि पासो २३ वीरजिणंदो य२४ नायसंडंमि | अवसेसा निक्खता सहसांबवणंमि उज्जाणे ॥२०॥ आश्रमपदवनखंड पार्श्वनाथइ. वीरजिनइ ज्ञातवनखंडनइ विषइ. शेष १८ तीर्थंकर नीकल्या सहस्रांबवन उद्याननइ विषइ ॥२०॥ १० - दीक्षावेला पासो २३ अरिनेमी २२ सेज्जंसो ११ सुमई ५ मल्लिनामो य १९ । पुव्वन्हे निक्खंता सेसा पुण पच्छिमन्हंमि ॥२१॥ १० - दीक्षा किण वेलाई लीधी. पार्श्वनाथ, अरिट्ठनेमि, श्रेयांस, सुमतिनाथ, मल्लिनाथ एतला तीर्थंकर प्रभाते दीक्षा लीधी. शेष १९ तीर्थंकरइ वली पाछलि पहुरइ दीक्षा लीधी. ॥२१॥ ११- दीक्षापरिवार एगो भगवं वीरो २४ पासो २३ मल्ली य १९ तिहिं २ सहिं भगवं पि वासुपूज्जो १२ छहि पुरिससएहि निक्खतो ॥२॥ केतला संघात दीक्षा लीधी ते कहइ छड़. एकाकीपण दीक्षा लीधी श्रीमहावीरदेवइ पार्श्वनाथ मल्लिनाथ ए २ त्रिण- त्रिण सय पुरुष साथइ. भगवंत वासुपूज्य छसय पुरुष संघाति नीकल्या. ॥२॥ · ७३ उग्गाणं भोगाणं रायन्नाणं च खत्तियाणं च । चउहिं सहसेहिं उसभी १ सेसाओ सहस्सपरिवारा ||२३|| उग्रकुलना १०००, भोगकुलना १०००, राजाना कुलना १०००, क्षत्रीना कुलना १०००, ए च्यारि हजार संघातइ ऋषभदेवइ दीक्षा लीधी. शेष १९ जिन एकेक सहस्र नइ परिवारिं दीक्षा लीधी. ॥२३॥ १२- दीक्षावय वीरो २४ अरिट्ठनेमी २२ पासो २३ मल्ली य १९ वासुपुज्जो य १२ | पढमव पव्वईया सेसा पुण पच्छिमवयंमि ||२४|| १२ - केही वय दीक्षा लीधी ते कहइ. श्रीवीर, नेमिनाथइ, पार्श्वनाथ, मल्लिनाथ, वासुपूज्य ए ५ जिन प्रथमवयनइ विषइ दीक्षा लोधी. शेष १९ तीर्थंकरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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