Book Title: Shatpanchashitika Sangrahini
Author(s): Dharmkirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 11
________________ जून २००८ साठि हजार, पंचावन हजार, ५० हजार एकतालीस हजार चालीस हजार. तिमज अत्रीस हजार. छत्रीस हजार आर्या चडवीसमा नइ. आर्यानओ संग्रह जाणिवो. ||३८|| चउयालीसं लक्खा बायालसहस चउसय समग्गा | छच्चेव अज्जियाओ अज्जाणं संग्गहो एसो ||३९|| सर्वजिननी आर्या केती - चउयालीस लाख बइतालीस हजार ऊपरि च्यारि सय ऊपरि वली छ आर्या. सर्वजिननी आर्यानओ संग्रह जाणिवउ. ||३९|| १९ - गणधर संख्या चुलसीई १ पंचनउई २ बिउत्तरं ३ सोलसुत्तर ४ सयं च ५ । सत्तहियं ६ पणनउई ७ तेणउई असीई य ९ ||४०| १९ - हिव २४ जिनना गणधरनी संख्या ८४ गणधर ऋषभनइ. पंचाणु गणधर २ नइ. १०२ गणधर ३ नइ. ११६ गणधर ४ नइ एकसउ गणधर ५. नइ. एक्सो सात गणधर ६. पंचाणु गणधर ७ नइ त्रेयाणुं गणधर ८ अट्ठयासी गणधर ९मा नइ ॥४०॥ एक्कासीइ १० छावत्त- री य ११ छावडी १२ सत्तवन्ना य १३ । पन्ना १४ तेयालीसा १५ छत्तीसा १६ चेव पणतीसा १७ ॥४१॥ ७७ ८१ गणधर १० मा नइ छहुत्तर गणधर ११मा नइ छासठि गणधर . सत्तावन गणधर १३मा नइ. पंचास गणधर तेयालीस गणधर १५ मा नइ. छत्रीस गणधर तथा पइंत्रीस गणधर ॥ ४१ ॥ तित्तीस १८ ऽट्ठावीसा १९ अट्ठारस २० चेव तहय सत्तरस २१ । इकारस २२ दस २३ नवगं २४ गणाण माणं जिणिदाणं ॥४२॥ तेत्रीस गणधर अट्ठावीस गणधर १९मा नई. अट्ठाइस गणधर २० तिमज. सत्तरि गणधर २१मा नइ. इग्यारस गणधर २२मा नइ. दश गणधर. नव गणधर वीर नइ. ए गणनो मान जिनेंद्रना ॥४२॥ इकारसउ गणहरा जिणस्स वीरस्स सेसयाणं तु । जावइया जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स ||४३|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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