Book Title: Shastrasara Samucchay
Author(s): Maghnandyacharya, Veshbhushan Maharaj
Publisher: Jain Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 401
________________ ( २) - - - - - प्रानुपूर्वी कर्म का उदय विग्रह-गति में होता है । जिसके उदय से शरीर न तो लोहे के गोले की तरह भारी हो और न आक की रुई की तरह हल्का हो वह अगुरुलघु नाम है । जिसके उदय से जीव के अंगोपांग अपना घात करने वाले बनें वह उपधात नाम है। जिसके उदय से दूसरे के घात करने वाले सींग आदि अंगोपांग बनें वह परघात नाम है। जिसके उदय से आतपकारी शरीर हो वह भातप नाम है । इसका-उदय सूर्य के बिम्ब में जो बादर पर्याप्त पृथिवी कायिक जीव होते हैं उन्हीं के होता है। जिसके उदय से उद्योतरूप शरीर हो वह उद्योत नाम है । इसका उदय चन्द्रमा के विम्ब में रहने वाले जीवों के तथा जुगुनु वर्गरह के होता है। जिसके उदय से उच्छवास हो यह उच्छवास नाम है । विहाय यानी आकाश में गमन जिस कर्म के उदय से होता है वह विहायोगति नाम है । हाथी बैल वगैरह की सुन्दर गति के कारण भूत कर्म को प्रशस्त विहायोगति नाम कहते हैं और ऊंट, गधे वगैरह की खराब गति के कारण भूत कर्म को अप्रशस्त विहायोगति नाम कहते हैं। यहां ऐसा नहीं समझ लेना चाहिए कि पक्षियों की ही गति आकाश में होती है। प्राकाश द्रव्य सर्वत्र है अतः सभी जीव आकाश में ही गमन करते रहते हैं। सिद्ध जीव और पुद्गलों की गति स्वाभाविक है फर्म के उदय से नहीं है। ___ जिसके उदय से शरीर एक जीव के ही भोगने योग्य होता है वह प्रत्येक शरीर नाम है। जिसके उदय से बहुत-से जीवोंके भोगने योग्य एक साधारण शरीर होता है वह साधारण शरीर नाम है। अर्थात् साधारण शरीर नाम कर्म के उदय से एक शरीर में अनन्त जीव एक अवगाहना-रूप होकर रहते हैं। वे सब एक साथ ही जन्म लेते हैं, एक साथ ही मरते हैं और एक साथ ही श्वास वगैरह लेते हैं उन्हें साधारण वनस्पति कहते हैं। जिसके उदय से दोइन्द्रिय आदि में जन्म हो वह असनाम है। जिसके उदय से एकेन्द्रियों में जन्म हो वह स्थावर नाम है । जिसके उदय से दूसरे जीव अपने से प्रीति करें वह सुभगनाम है। जिसके उदय से सुन्दर सुरूप होने पर भी दूसरे अपने से प्रीति न करें अथवा घृरणा करें वह दुभगनाम है। जिसके उदय से स्वर मनोश हो जो दूसरों को प्रिय लगे यह सुस्वर नाम है। जिसके उदय से अप्रिय स्वर हो वह दुःस्वर नाम है । जिसके उदय से शरीर के अवयव सुन्दर हों वह शुभ नाम है । जिसके सदय से शरीर के अवयव सुन्दर न हों वह अशुभ नाम है । जिसके उदय से सूक्ष्म शरीर हो जो किसी से न रुके वह सूक्ष्म नाम है । जिसके उदय से स्थूल शरीर हो वह बादर नाम है । जिसके उदय से आहार आदि पर्याप्तियों को पूर्णता हो

Loading...

Page Navigation
1 ... 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419