Book Title: Shastrasara Samucchay
Author(s): Maghnandyacharya, Veshbhushan Maharaj
Publisher: Jain Delhi

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Page 402
________________ ( ३३० ) होती वह पर्याप्त नाम कर्म है । जिसके उदय से पर्याप्तियों को पूर्णता नहीं अपर्याप्त नाम है। जिसके उदय से शरीर के धातु उपधातु स्थिर होते है जिससे कठिन श्रम करने पर भी शरीर शिथिल नहीं होता वढ स्थिर नाम है जिसके उदय से धातु उपधातु स्थिर नहीं होते, जिससे थोड़ा सा श्रम करने से ही या जरा-सी गर्मी सर्दी लगने से ही शरीर म्लान हो जाता है वह प्रस्थिर नाम है । जिसके उदय से शरीर प्रभासहित हो वह आय नाम है। जिसके उदय से प्रभा रहित शरीर हों वह प्रनादेय नाम कर्म है । जिसके उदय से संसार में अपयश फैले वह प्रयशस्कीर्ति नाम है। जिसके उदय से अपूर्व प्रभावशाली अर्हन्त पद के साथ धर्म-तीर्थ का प्रवर्तन होता है वह तीर्थंकर नाम है । इस तरह नाम कर्म की बयालीस प्रकृतियों के ही तिरानवे भेद हो जाते हैं । 1 द्विविधं गोत्रम् ॥ ५७॥ उच्च गोत्र तथा नीच गोत्र ये गोत्र के दो भेद हैं। उसमें उत्तम कुल में पैदा करने वाला उच्च गोत्र तथा नीच कुल में पैदा करने वाला नीच गोत्र कहलाता है । पंचविधमन्तरायम् ॥१५८ ।। दानान्तराय, लाभान्तराय, भोगान्तराय, उपभोगान्तराय और बीयन्तिराय ये अन्तराय कर्म के पांच भेद हैं । जिसके उदय से मनुष्य दान न कर सके या जो दान में विघ्न करदे बह दानान्तराय कर्म है | लाभ की इच्छा होते हुये भी तथा प्रयत्न करने पर भी जिस के उदय से लाभ नहीं होता वह लाभान्तराय कर्म है । भोग और उपभोग की इच्छा होने पर भी जिसके उदय से भोग उपभोग नहीं कर सकता वह भोगान्तराय तथा उपभोगान्तराय कर्म है । शक्ति प्राप्त होने में विघ्न करने वाला कर्म वीर्यान्तराय कर्म है । ये पांच अंतराय कर्म तथा श्रम्य उपरिउक्त कर्म मिलकर कर्मों के कुल १४८ एक सौ अड़तालीस भेद होते हैं । इन कर्म प्रकृति के उत्तरोत्तर भेद असंख्यात होते हैं । उनमें ज्ञानावरण कर्मकी, दर्शनावरण की, वेदनीयको, अंतराय इन वार कमी उत्कृष्ट स्थिति तीस कोड़ाकोड़ो सागरोपम है। मोहनीय कर्मकी सत्तर कोड़ा कोड़ी सागर, नाम और गोत्र की २० बीस कोड़ा कोड़ी सागरोपम है । श्रायु कर्म की उत्कृष्ट स्थिति ३३ तेतीस सागर की है । वेदनीय कर्म की जघन्य स्थिति १२ बारह मुहूर्त है, नाम और गोत्र के आठ मुहूर्त है। शेष की अंतर मुहूर्त स्थिति होती है। घाति कर्मोंमें लता, काठ, अस्थि, शैलरूम चार प्रकार की "

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