Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 24 // / 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // साहुविहार सरूवं अप्पडिबद्धो य सो विहेयव्वो। जायअजायकप्पो परिठवणुच्चारकरणदिसा अट्ठारस पुरिस्पेसुं वीसं इत्थीसु दस नपुंसेसुं / पव्वावणाअणरिहा तह वियलंगस्सरूवा य / जं मुल्लं जइकप्पं वत्थं सेज्जायरस्स पिंडो य / जत्तिय सुत्ते सम्मं जह निग्गंथा वि चउगइया खित्ते मग्गे काले तहा पमाणे अईयमक्कप्पं / दुहसुहसेज्जचउक्कं तेरस किरियाण ठाणाई एगम्मि.बहुभवेसु य आगरिसा चउव्विहे वि सामइए। सीलंगाणऽट्ठारस सहस्स नयसत्तगं चेव वत्थग्गहणविहाणं ववहारा पंच तह अहाजायं / निसिजागरणम्मि विही, आलेयणदाययऽन्नेसा गुरुपमुहाणं कीरइ असुद्धसुद्धेहिं जत्तियं कालं। उवहिधोयणकालो भोयणभाया वसहिसुद्धी संलेहणा दुवालस वरिसे, वसहेण वसहिसंगहणं / उसिणस्स फासुयस्स वि जलस्स सच्चित्तया कालो तिरिइत्थीओ तिरियाण माणवीओ नराण देवीओ। देवाण जग्गुणाओ जत्तिमेत्तेण अहियाओ अच्छेरयाण दसगं चउरो भासा उ वयणसोलसगं / मासाण पंच भेया भेया वरिसाण पंचेव लोगसरूवं सन्नाओ तिन्नि चउरो व दस व पनरस वा। तह सत्तसट्ठिलक्खणभेअविसुद्धं च सम्मत्तं एगविह दुविह तिविहं चउहा पंचविह दसविहं सम्मं / दव्वाइकारगाईउवसमभेएहि वा सम्म 3 // 30 // // 31 // // 32 // // 34 // // 35 //

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