Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 40 // कुलकोडीणं संखा जीवाणं जोणिलक्खचुलसीई। तेक्कालाईवित्तत्थविवरणं सड्डपडिमाउ // 36 // धन्नाणमबीयत्तं खेत्ताईयाण तह अचित्तत्तं / धन्नाइं चउवीसं मरणं सत्तरसभेयं च // 37 // पलिओवम अयरऽवसप्पिणीण उस्सप्पिणीण वि सरूवं / दव्वे खेत्ते काले भावे पोग्गलपरांवट्टो // 38 // पन्नरस कम्मभूमी अकम्मभूमीउ तीस अट्ठभेया। दोन्नि सया तेयाला, भेया पाणाइवायस्स . // 39 // परिणामाणं अट्ठोत्तरसयं बंभमट्ठदसभेयं / / कामाण चउव्वीसा दस पाणा दस य कप्पदुमा नरया नेरइयाणं आवासा वेयणाऽऽउतणुमाणं / उप्पत्तिनासविरहो लेसाऽवहि परमहम्मा य / / 41 // नरयुव्वट्टाणं लद्धिसंभवो तेसु जेसि उववाओ / संखा उप्पज्जताण तह य उव्वट्टमाणाणं // 42 // कायठिई भवठिइओ एगिदियविगलसन्निजीवाणं / तणुमाणमेसि इंदियसरूवविसया य लेसाओ // 43 // एयाणं जत्थ गई जत्तो ठाणेहिं आगई एसिं। उप्पत्तिमरणविरहो जायंतमरंतसंखा य // 44 // भवणवई-वाणमंतर-जोइस-वेमाणवासिदेवाणं / ठिइ भवण देहमाणं लेसाओ ओहिनाणं च उप्पत्तीए तहुवट्टणाय विरहो इमाण संखा य। जम्मि य एयाण गई जत्तो वा आगई एसिं विरहो सिद्धि गईए जीवाणाहारगहण ऊसासा। तिन्नि सया तेसट्ठा पासंडीणऽट्ट य पमाया // 47 // // 45 // // 46 //

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