Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 11
________________ . // 13 // बत्तीसाई सिझंति अविरयं जाव अट्ठहीयसयं / अट्ठसमएहिं एक्केक्कूणं जावेक्कसमयंतं . // 12 // थीवेए पुंवेए नपुंसए सिज्झमाणपरिसंखा। सिद्धाणं संठाणं अवठिइठाणं च सिद्धाणं अवगाहणा य तेसिं उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना य। नामाइ चउण्हं पि हु, सासयजिणनाहपडिमाणं // 14 // उवगरणाणं संखा जिणाण थविराण साहुणीणं च / जिणकप्पियाण संखा उक्किट्ठा एगवसहीए // 15 // छत्तीसं सूरिगुणा विणओ बावन्नभेअपडिभिन्नो। चरणं करणं जंघाविज्जाचारणगमणसत्ती * // 16 // परिहारविसुद्धि अहालंदा निज्जामयाण अडयाला / पणवीस भावणाओ सुहाउ असुहाउ.पणवीसं -- // 17 // संखा महव्वयाणं किइकम्माण य दिणे तहा खित्ते / चारित्ताणं संखा ठियकप्पो अठियकप्पो य // 18 // चेइय पुत्थयं दंडय तण चम्म दुसाइ पंच पत्तेयं / / पंच अवग्गहभेया परीसहा मंडली सत्त // 19 // दसठाणववच्छेओ खवगस्सेढी य उवसमस्सेढी। थंडिल्लाण सहस्सो अहिओ चउसहियवीसाए // 20 // पुव्वाणं नामाइं पयसंखासंजुयाइं चउदस वि / निग्गंथा समणा वि य, पत्तेयं पंच पंचेव // 21 // गासेसणाण पणगं पिंडे पाणे य एसणा सत्त / भिक्खारिया वीहीणमट्ठगं पायच्छित्ताणं // 22 // सामायारी ओहम्मि पयविभागम्मि तहय दसंहा उ (चक्कवालम्मि)। निग्गंथत्तं जीवस्स पंचवाराओ भववासे // 23 //

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