Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 10
________________ // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // पू.आ.श्री.नेमिचन्द्रसूरिप्रणीत ॥प्रवचन-सारोद्धारः॥ नमिउण जुगाइजिणं वोच्छं भव्वाण जाणणनिमित्तं / पवयणसारुद्धारं गुरूवएसा समासेणं / चिइवंदण वंदणयं पडिकमणं पच्चक्खाणमुस्सग्गो। चउवीससमहियसयं गिहिपडिक्कमाइयाराणं भरहम्मि भूयसंपइभविस्सतित्थंकराण नामाइं। एरवयम्मि वि ताई जिणाण संपइभविस्साणं उसहाइजिणिंदाणं आइमगणहरपवित्तिणीनामा / अरिहंतऽज्जणठाणा जिणजणणीजणयनामगई उक्किट्ठजहन्नेहिं संखा विहरंततित्थनाहाणं / जम्मसमए वि संखा उक्किट्ठजहणिया तेर्सि जिणगणहर मुणी समणी, वेउवि वाइ अवहि केवलिणो। मणनाणि चउदसपुव्वि, सड्ढ सड्ढीण संखा उ जिणजक्खा देवीओ तणुमाणं लंछणाणि वन्ना य / वयपरिवारो सव्वाउयं च सिवगमणपरिवारो निव्वाणगमणठाणं जिणंतराइं च तित्थवुच्छेओ। दस चुलसी वा आसायणाउ तह पाडिहेराई चउतीसाइसयाणं दोसा अट्ठारसारिहचउक्कं। . निक्खमणे नाणम्मि अ निव्वाणम्मि य. जिणार्ण तवो भाविजिणेसरजीवा, संखा उड्डाहतिरियसिद्धाणं / तह एक्कसमयसिद्धाण, ते य पन्नरसभेएहिं अवगाहणाय सिद्धा उक्किट्ठजहन्नमज्झिमाए अ। गिहिलिंगअन्नलिंगस्स लिंगसिद्धाणं संखाउ // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 //

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