Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 12
________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // एगयरम्मि वि ठाणे, गच्छाणाए पमायओ भग्गे। भणियं विराहगत्तं; रज्जमियाणिं तु तस्सेव इक्कं चिय अट्ठारसंसीलंगसहस्सलक्खणं चरणं / इक्कस्स वि विरहेणं, ण हवे अण्णुण्णसंवेहा इत्थमफासुअणीरं, सेवंतो तेउकाइयं तह य / गुत्तीउ विराहतो, मिच्छद्दिट्ठी मुणी भणिओ णो देसविरइकंडय-पत्तिं मुत्तूण होइ पव्वज्जा। तुलणावेक्खा तम्हा, इण्डिं तु विसिस्स जं भणियं जुत्तो पुण एस कमो, ओहेणं, संपयं विसेसेणं / जम्हा विसमो कालो, दुरणुचरो संजमो इत्थ को व कुणउ ववहारं, गणणिक्खेवारिहं गुरुं मुत्तुं / तस्स गुणा पुण समए, भणिया दीसंति तत्थेव जेण सुसीलाइगुणो, गणणिक्खेवारिहो गुरू भणिओ। आणाभंगो इयराऽणुन्नाइ महाणिसीहम्मि . इक्को य णोवलब्भइ, ववहारो बहुपरंपरारूढो। नियमइविगप्पिओ सो, दीसइ सच्चो य वुच्छिन्नो संजमठाणाइविऊ, आगमववहारिणो उ वुच्छिन्ना / तत्तो ण चरणसुद्धी, पायच्छित्तस्स वुच्छेआ दिता वि ण दीसंती, पच्छित्तं मासिआइअं इण्डिं / ण सयं कुणंति जम्हा, तम्हा तं होइ विच्छिण्णं णिज्जवगाण वि विरहा, ववहारो चरणलक्खणो णत्थि / तित्थं पवट्टमाणं, दंसणनाणेहिं पडिहाइ इय एस पुव्वपक्खो, अवरुप्परवयणजुत्तिसंलग्गो। एत्थ समाहाणविहिं, वुच्छामि अहाणुपुव्वीए // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // 3

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