Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 14
________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // ववहारणयस्साया, कम्मं काउं फलं समणुहोइ / इय वेणइए कहणं, विसेसणे मा हु मिच्छत्तं इत्तो कालियसुत्ते, अपरीणामाइसीसहिअहेउं / ववहारस्सऽहिगारो, भणियं आवस्सए जमिणं एएहिं दिट्ठिवाए, परूवणा सुत्तअत्थकहणा य / इह पुण अणब्भुवगमो, अहिगारो तीहि ओसन्नं इयराभिणिवेसाहियमिच्छत्तं णिच्छओ वि सोहेइ। तम्हा अपक्खवाओ, जुत्तो दोण्हं पि सुद्धत्ते अण्णुण्णं मिलिआणं, पमाणसण्णा णयाण णयसण्णा / इयराविराहणेणं, दुग्णयसण्णा य इहरा उ णिच्छयठिय व्व मुणिणो, ववहारठिया वि परमभावगया। णिट्ठिअसेलेसि च्चिय, सव्वुक्किट्ठो परमभावो ववहारे वि मुणीणं, झाणप्पा अक्खओ परमभावो / जत्तस्स दढत्ताओ, जमिणं भणियं महाभासे सुदढप्पयत्तवावारणं णिरोहो व विज्जमाणाणं / झाणं करणाण मयं, ण उ चित्तणिरोहमित्तागं पढमं वयणठियाणं, धम्मखमाइट्ठिआण तत्तो अ। भिण्णो च्चिय ववहारों, रयणम्मि णिओगदिट्ठि व्व . इत्तो पण्णत्तीए, ववहारे सव्वओ मलच्चाया। संवच्छराउ. उडु, भणि सुक्काभिजाइत्तं भरहाईणं णाया, वेफल्लं णेव होइ ववहारे / आहच्चभावओ च्चिय, जमिणं आवस्सए भणियं पत्तेअबुद्धकरणे, चरणं णासंति जिणवरिंदाणं / आहच्चभावकहणे, पंचहि ठाणेहिं पासत्था // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 // // 59 //

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