Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05 Author(s): Vinayrakshitvijay Publisher: Shastra Sandesh MalaPage 15
________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // उम्मग्गदेसणाए, चरणं णासंति जिणवरिंदाणं / वावन्नदंसणा खलु, न हु लब्भा तारिसा दटुं इट्ठविसयाणुगाण य, झाणं कलुसाहमं विणिद्दिटुं। सूअगडे मंसट्ठिअ-जीवाणं मच्छझाणं व घरखित्तनयरगोउलदासाईणं परिग्गहो जेसिं। .. गारवतियरसिआणं, सुद्धं झाणं कओ तेसिं गिहिदिसबंधरयाणं, असुद्धआहारवसइसेवीणं / पासत्थाणं झाणं, नियमेणं दुग्गइनियाणं विसयविरत्तमईणं, तम्हा सव्वासवा णियत्ताणं / झाणं अकिंचणाणं, णिसग्गओ होइ णायव्वं लद्धम्मि णिच्छयम्मि वि, सुत्तुत्तोवायरूवववहारो। कुंभारचक्कभामग-दंडाहरणेण वुड्डिकरी तयलाभम्मि वि णिच्चं, सईइ अहिगयगुणम्मि बहुमाणा / पावदुगंछालोअण-जिणभत्तिविसेससद्धाहिं लब्भइ णिच्छयधम्मो, अकुसलकम्मोदएण नो पडइ / ता अपमाओ जुत्तो, एयम्मि भणंति जं धीरा एवमसंतो वि इमो, जायइ जाओ वि ण पडइ कया वि। ता इत्थं बुद्धिमया, अपमाओ होइ कायव्वो मग्गप्पवेसणहूँ, संजमकिरिया असंजयस्सावि / जुत्ता दाउं जम्हा, अब्भासो होइ एमेव इहरा तुसिणीयत्तं, हविज्ज परभावपच्चयाभावा / जिट्ठत्ताइ वि तम्हा, ववहारेणेव जं भणियं णिच्छयओ दुन्नेयं, को भावे कम्मि वट्टए समणो। / ववहारओ उ कीरइ, जो पुव्वठिओ चरित्तम्मि . // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 //Page Navigation
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