Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 04
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // ॥उपदेशरहस्यम् // नमिऊण वद्धमाणं वुच्छं भविआण बोहणट्ठाए / सम्मं गुरूवइ8 उवएसरहस्समुक्किटुं लखूण माणुसत्तं सुदुल्लहं वीयरागपण्णत्ते / धम्मे पवट्टियव्वं निउणेहि सुत्तणीईए नणु विप्पडिसिद्धेसुं वयणेसुं कस्स होइ वीसासो। सो धम्मो कायव्वो जत्थ अहिंसा परमरम्मा भण्णइ आणाबज्झा लोगुत्तरणीइओ ण उ अहिंसा / सा णज्जइ सुत्ताओ हेउसरूवाणुबंधेहि परिणामो वि अणियमा आणाबज्झो ण सुंदरो भणिओ। तित्थयरेऽबहुमाणासग्गहदुट्ठो त्ति तंतम्मि / सुद्धो सुओवओगा मग्गणुसारित्तओ अ केसिंची। जायइ गलिए नियमा मिच्छत्तकए विवज्जासे मंडुक्कचुण्णकप्पो किरिआजणिओ वओ किलेसाणं / तद्दड्डचुण्णकप्पो नाणकओ तं च आणाए किरिया वि खेयमित्तं मोहकया हंदि होइ अण्णेसिं / सम्मोहसच्छयाए पसमो परिणामओ मोहो तेसिं अवंकगामी परिणामो णत्थि तेण किरिआए। अन्नाणे बहुपडणं ववहा णिच्छया णिथमा मग्गणुसारी सड्डो पन्नवणिज्जो कियावरो चेव / गुणगी जो सक्कं आरभइ अवंकगामी सो एत्तोऽपन्नवणिज्जा असक्कमेगागिचारमिच्छंता / आणाबज्झा णेया सुत्तं गीयत्थविसयं तु // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // 1

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