Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 04
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 13
________________ एत्तो च्चिय पण्णवणी तप्फलभासा ण चेव आणमणी। ण य पुट्ठस्स भगवओ भासा इच्छाणुलोमा य // 36 // अह हीणं दव्वत्थयं अणुमण्णिज्जा ण संजओ त्ति मई / ता कस्स वि सुहजोगं तित्थयरो णाणुमण्णिज्जा // 37 // अलमेत्थ पसंगेणं दोण्ह वि अणुमोअणाई आणाणं / बीआहाणविसुद्धा दव्वाणा होइ णायव्वा // 38 // नोआगमभावाणा एसा णो बज्झकिरियमहिगिच्च / दव्वेण य भावेण य छेयत्तं जं सुए भणिअं // 39 // भावाणा पुण जायइ सम्मद्दिट्ठिस्स मूलमहिगिच्च। .. कज्जाकज्जे णाओ पवट्टइ तओ हिए पायं // 40 // परपरिणामुम्मग्गे चत्ते लद्धे अ नाणदीवम्मि। मग्गम्मि जं पवट्टइ एस सहावो हु जीवस्स // 41 // कह एस पुरा चत्तो णो चत्तो तेण णिच्चमुत्तेण। अन्नाणविलयमेत्तं चित्तं तु कमेण णिच्छयओ // 42 // पडिबंधो वि य एत्थं कंटकजरमोहसन्निभो भणिओ / तंते तव्वगमेणं मुक्खपुरे गमणमइरेणं // 43 // एवं णाऊण सया बुहेण होअव्वमप्पमत्तेण।। परिसुद्धाणाजोगे कम्मं णो फलइ रुदं पि // 44 // जह तुल्लणिमित्ताणं दीसइ वाही तहा समाही अ। परिहारेयरभावा तहेव एवं पि दट्ठव्वं // 45 // एसो य पुरिसगारो ण धावणाई गयाणुगइओ अ। अणिययसहावकम्मे एसो अ उवक्कमणहेऊ - // 46 // एवं तुल्लबलत्तं उववण्णं दइवपुरीसगाराणं / अण्णोणसमणुविद्धा जं दो वि फलं पसाहंति // 47 //

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