Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 10
________________ // 2 // // 3 // // 4 // . // धर्मसंग्रहणिः // नमिऊण वीयरागं सव्वन्नु तियसपूइयं विहिणा / जहणायवत्थुवादि, अचिंतसत्तिं महावीरं सुहभावज्जियतित्थगरणामकम्मस्स सुहविवागातो / अणुवगियपरहियरयं तित्थगरमिमस्स तित्थस्स सपरुवगारट्ठाए जिणवयणं गुरुवदेसतो जाउं / वोच्छामि समासेणं पयडत्थं धम्मसंगहणि धम्मो खलु पुरुसत्थो सपरुवयारो य सो मुणेयव्वो / उवयारो वि य दुविहो दव्वे भावे य नायव्वो। दव्वम्मि अन्नपाणादिदाणरूवो तु होइ विनेओ / नेगंतिओ अणच्चंतिओ य जं दव्वतो तेणं इहपरलोगट्ठा तह जो कीरइ अविहिणा व भत्तीए / एसो वि दव्वओ च्चिय मोक्खंगाभावतो जाण भावुवयारो सम्मत्तणाणचरणेसु जमिह संठवणं / सइ अप्पणो परस्स य अणियाणं तं जिणा बिति इहपरलोगासंसं मोत्तुं जो कीरते अविहिणा तु / भत्तीए दव्वतो वि हु एसो भावम्मि बोद्धव्वो आहऽन्नवत्थलयणादिदाणतो भोगतो य इह सिद्धी / गिहिसंजयाण सुव्वइ सुव्वइ णणु भावतो सा वि आहरणं सेट्ठिदुर्ग जिणिदपारणगऽदाणदाणेसु / विहिभत्तिभावऽभावा मोक्खंगं तत्थ विहिभत्ती वेसालि वसठाणं समरे जिण पडिम सेट्ठिपासणया / अइभत्ति पारणदिणे मणोरहो अन्नहिं पविसे // 6 // // 7 // // 8 // // 10 // // 11 //

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