Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 11
________________ = = जाइच्छिदाणं धारा लोए कयपुण्णगो ति य पसंसा / केवलिआगम पुच्छण को पुण्णो ? जिन्नसिट्ठि त्ति // 12 // सम्मत्तादिसु जम्हा संठवणं होइ जिणुवदेसातो / सो अपरिमिओ उ तओ सुहगम्मं कि पि वोच्छामि // 13 // मेधामतिपरिहीणावि जमिह पाऊण चरणरयणस्स / / होन्ति परिवालणखमा तत्तो मोक्खं च पावंति // 14 // मिच्छत्तसेलकुलिसं अण्णाणतमोहभक्खरब्भूतं / चरणरयणायरनिभं अचिंतचिंतामणीकप्पं . // 15 // सिवसुहफलकप्पतरूं जहट्ठियासेसणेयपडिबद्धं / णाणानओहगहणं जिणवयणं तिहुयणपसिद्धं // 16 // एयस्स एगदेसो वि भावतो भव्वजणपरिग्गहिओ। अत्थो विऽवितहणातो दुक्खक्खयकारणं होइ // 17 // तम्हा रोएतव्वं भावेयव्वं पगासियव्वं च / अव्वक्खित्तेणेदं दुक्खक्खयमिच्छमाणेणं // 18 // सफलो मे तो एवं आरंभो रोयणाइजोगातो / तत्थऽप्पणो परस्स य णियमातो कयं पसंगेणं धारेइ दुग्गतीए पडंतमप्पाणगं जतो तेणं / धम्मो त्ति सिवगतीइ व सततं धरणा समक्खाओ. // 20 // धम्माधम्मक्खयतो सिवगतिगमणं ति ता कहं ताए / धारेति तओ ? भन्नति हेतुम्मि फलोवयारोऽयं // 21 // हेऊ उभयखयस्स य धम्मो जं तस्समुज्जतो नियमा / . कुणइ तयं तदभावे तस्साणुट्ठाणवेफल्लं // 22 // तस्साणुट्ठाणफलं देवादिसु सातमेव सिय होज्जा / तं नो धम्मरयाण वि मोक्खाभावप्पसंगातो // 23 // =

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