Book Title: Shantipath Pradarshan
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

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Page 18
________________ (xv) १४. पं० ज्ञानचन्द जैन 'स्वतन्त्र' सम्पादक और व्यवस्थापक 'जैनमित्र' सूरत - ३१. ७.६१ 'शान्तिपथ-प्रदर्शन' ग्रन्थ ऐसे मर्मज्ञ विद्वान् और अखण्ड ब्रह्मचारी महानुभाव द्वारा लिखा गया है जो सचमुच में शान्ति- पथ पर चल रहा है। फिर इस ग्रन्थ द्वारा मानव समाज को शान्ति का मार्ग न मिले ऐसा हो ही नहीं सकता और न माना जा सकता है । ग्रन्थ की यही विशेषता महानता और लोकप्रियता है कि कुछ महीनों में ही ग्रन्थ हाथों हाथ उठ गया है । अब इसके दूसरे संस्करण की प्रतीक्षा की जा रही है। मैं इस ग्रन्थ का एक बार अक्षरशः स्वाध्याय कर चुका हूँ, फिर भी यही बलवती भावना हो रही है कि पुनः एकबार पढूं । जिस साहित्य के पढ़ने में मन भीगा रहे और दोबारा पढ़ने की इच्छा हो और नवीनता मिले वही सत्साहित्य है । इससे अच्छी परिभाषा सत्साहित्य की और कोई नहीं हो सकती । ग्रन्थ के रचयिता महानुभाव को अत्यन्त शान्ति सुख की प्राप्ति हो । १५. पं० उग्रसेन M. A. LL. B. रोहतक - ३१. १२.६२ पूज्य बाल ब्र० १०५ क्षु० जिनेन्द्र कुमार जी द्वारा रचित शान्ति पथ-प्रदर्शन ग्रन्थ को पढ़ा। उनका यह कार्य अत्यन्त प्रशंसनीय है । इस ग्रन्थ में जैन धर्म का दिग्दर्शन विद्वान् लेखक ने बड़ी ही सरल तथा आकर्षक भाषा में वैज्ञानिक ढंग से कराया है। जैन धर्म का परिचय प्राप्त करने के इच्छुक जैन तथा अजैन सभी बन्धु इसको पढ़कर लाभ उठायेंगे । ग्रन्थ बड़ा उपयोगी है, जैन नवयुवकों में इस ग्रन्थ का प्रचार खूब होना चाहिये ताकि वे इसे पढ़कर अपने धर्म के सम्बन्ध में कुछ बोध प्राप्त कर सकें। परिषद् परीक्षा बोर्ड की उच्च कक्षाओं के धर्म शिक्षा कोर्स में यदि इसे रख लें तो अच्छा होगा । १६. जैन समाज के प्रसिद्ध कवि धन्यकुमार जैन 'सुधेश' - २७. ३. ६१ शान्तिपथ-प्रदर्शन ग्रन्थ की उपयोगिता एवं महत्ता से मैं प्रभावित हुआ हूँ। श्री जिनेन्द्र जी स्वयं शान्तिपथ के सफल पथिक हैं । अत: उनकी इस रचना में सर्वत्र अनुभूति के दर्शन होते हैं । उनके द्वारा प्रदर्शित शान्ति- पथ पर चलकर संसार शान्ति प्राप्त कर सकता है, इसमें सन्देह नहीं। उनका यह ग्रन्थ वास्तव में शान्ति पथ के पथिकों के लिए ज्योति स्तम्भ का कार्य करेगा। अतः श्री ब्र० जिनेन्द्रजी का यह प्रशस्त प्रयास प्रत्येक मानव द्वारा अभिनन्दनीय है । १७. श्री आदीश्वर प्रसाद जैन M.A. सेक्रेटरी जैन मित्र मण्डल, देहली शान्ति पथ-प्रदर्शन ग्रन्थ को सभी रूचि पूर्वक पढ़ रहे हैं। हमें यह बहुत ही उपयोगी व शिक्षाप्रद प्रतीत हुआ है । अन्य ग्रन्थों के पढ़ने में कभी इतनी रुचि और आनन्द नहीं आया। लेखन शैली बहुत ही आधुनिक है । १८. श्री अयोध्याप्रसाद गोयलीय डाल्मियानगर ब्रo जिनेन्द्र जी ने अध्यात्म सागर में बहुत गहरी डुबकी लगाकर मूल्यवान् रत्न निकाले हैं । १९. श्री मनोहर लाल जैन M. ५. श्री महावीर जी – १७.७.६१ 'शान्तिपथ-प्रदर्शन' जैसे वैज्ञानिक एवं आधुनिक शैलीवाले ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई । प्राचीन शैलीवाले ग्रन्थों के पढ़ने में अभिरुचि न रखनेवाले युवकों के लिए इस प्रकार की शैली जहाँ आकर्षण का कार्य करती है वहाँ धार्मिकता के अंकुर उत्पन्न करने में भी सहायक बनती है । २०. श्री निहालचन्द पाण्डया, सेल्स टैक्स इन्सपेक्टर, टौंक शान्तिपथ-प्रदर्शन ग्रन्थ बहुत ही रहस्यमय प्रतीत हुआ। यहांकी जैन समाज उसे बहुत ही रुचि पूर्वक पढ़ रही है। २१. कु० विद्युल्लता शाह BA.B.T. प्रमुख दि० जैन श्राविकाश्रम शोलापुर - १२. २.६२ शान्तिपथ-प्रदर्शन पुस्तक बहुत पसन्द आयी । आश्रम की बाइयाँ इसे बहुत रुचि पूर्वक पढ़ रही हैं। मैं इसका मराठी में अनुवाद करना चाहती हूँ। इस विषय में ब्र० जिनेन्द्र जी की अनुमति तथा आशीर्वाद भेजने की कृपा करें । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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