Book Title: Shakalarka Samhita Saparishishta
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिबतंसोममातुजी 18 आयातमित्रावरुणाजुषाणावाहुतिनरा / पातंसोममृतावृधा 19 // 11 // प्रति वा दश वसिष्ठोश्विनौ त्रिष्टुप् / | 67 प्रतिवारथैनृपतीज़रध्यैहविष्म॑तामनसायज्ञियैन / योवादूतोनर्धिष्ण्यावीगरच्छांसूनुर्नपितरांविवक्मि 1 अशोव्यग्निःसमिधानोअस्मेउपोअदृश्रन्तमंसश्चिदन्ताः / अचेतिकेतुरुषसःपुरस्ताञ्छ्रियेदिवोदुहितुर्जायमानः 2 अभि , वानूनमश्विनासुहोतास्तोमैःसिषक्तिनासत्याविवक्वान् / पूर्वीभिर्यातंपाभि स्विर्विावसुमतारथैन 3 अवोर्वीनूनमश्विनायुवाकुर्हवेयद्वीसुतेमाध्वीवसूयुः / आवविहन्तुस्थविरासोअश्वाःपिथिोअस्मेसुषतामधूनि 4 प्राचीमुदेवाश्विाधियंमेऽमृध्रांसातयेकृतंवसूयुम् / विश्वाअविष्टंवा आपुरंधस्तिानःश For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941