Book Title: Shakalarka Samhita Saparishishta
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसं. // 358 // नभोनरूपमरुपवसांनाः 6 सहिशुचिःशतपत्रःसशुन्ध्युहिरण्यवाशीरिपिरः अ.५७.६ स्वर्षाः / वृहस्पतिःसःखावेशऋष्वःपुरूसखिभ्यआसुर्तिकरिष्ठः 7 देवीदेवस्य / रोदसीजनित्रीबृहस्पतिवावृधतुर्महित्वा / दक्षाव्यदक्षतासखायःकरणे सुतरांसुगाधा 8 इयंाब्रह्मणस्पतेसुवृक्तिर्ब्रह्मेन्द्रायविणेअकारि / अविष्टं धियोजिगृतंपुरन्धी जस्तमर्योवनुषामरांतीः 9 बृहस्पतेयुवमिन्द्रश्ववस्वोदिव्यस्यैशाउतपार्थिवस्य / धत्तरयिंस्तुवतेकीरयेचियूयंतिस्वस्तिभिःसदानः 10 // 22 // अध्वर्यवः सप्त वसिष्ठ इन्द्रस्त्रिष्टुप् / अन्याया इन्द्रावृहस्पती / 98 अर्ध्वर्यवोऽरुणंदुग्धमझुंजुहोनिवृषभायंक्षितीनाम् / गौराहेदीयाँअव-|| पामिन्द्रौविश्वाहेद्यातिसुतसोममिच्छन् / यद्दधिषेप्रदिविचार्वनैदिवेदिवेपी-, 5656666666666666 | // 358 // For Private and Personal Use Only

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