Book Title: Shakalarka Samhita Saparishishta
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 932
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋ.सं. अ. अ.७ // 367 // सुतासः / शुक्राआशिर्रयाचन्ते 10 // 18 // ताँआशिरैपुरोळाशमिन्द्रेमंसोमश्रीणीहि / रेवन्तहिवाशृणोमि 11 हृत्सुपीतासौयुध्यन्तेदुर्मदासोनसुरायाम् / ऊधनग्नाजरन्ते 12 रेवाँइद्रेवतःस्तोतास्यात्त्वावतोमघोनः। प्रेहरिवः सुतस्य 13 उक्थंचनास्यानमगौररिराचिकेत / नगायत्रंगीयमानम् 14 मानइन्द्रपीयत्नवेमाशर्धतेपरांदाः / शिक्षाशचीवःशचीभिः 15 // 19 // वय, त्वातदिदाइन्द्रत्वायन्तःसखायः / कण्वोउक्थेभिर्जरन्ते 16 नघुमन्यदार्पपन / वजिन्नपसोनविष्टौ / तवेदुस्तोमैचिकेत 17 इच्छन्तिदेवाःसुन्वन्तनस्वप्नायस्पृहयन्ति / यन्तिप्रमादमतन्द्राः 18 ओषुप्रयोहिवाजेभिर्माणीथाअभ्यस्मा न्। महाँईवयुर्वजानिः 19 मोवद्यदुर्हणावान्त्सायंकरदारेअस्मत् / अश्रीर1 ईवजामाता 20 // 20 // विद्माह्यस्यवीरस्यभूरिदावरीसुमतिम् / त्रिषुजात, // 367 // For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941