Book Title: Shakalarka Samhita Saparishishta
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋ.सं. अ.अ.३ Sessed चित् / बृहन्तमा वरुणस्वधावःसहस्रद्वारंजगमागृहंते 5 यआपिर्नित्यौवरुण प्रियःसन्त्वामागाँसिकृणवत्सखाते / मातएनस्वन्तोयक्षिन्भुजेमयन्धिष्माविप्रः स्तुवतेवरूथम् 6 ध्रुवासुंत्वासुक्षितिषक्षियन्ोव्यस्मत्पाशंवरुणोमुमोचत् / अोवन्वानाअदितेरुपस्थायूयंतिस्वस्तिभिःसानः 7 // 10 // ____मो पु पञ्च वसिष्ठो वरुणो गायत्री / अन्सा जगती। 89 मोषुवंरुणमृन्मयगृहराजहंगमम् / मृळासुक्षत्रमृळयं 1 यदेमिप्र-2 स्फुरनिवतिर्नध्ातोअद्रिवः / मृळासुक्षत्रमृळयं 2 क्रत्व समहीनताप्रतीपं / जंगमाशुचे / मृळासुक्षत्रमूळय 3 अपांमध्येतस्थिवांसंतृष्णांविदज्जरितारम्। मृळासुक्षत्रमृळये 4 यत्किंदवरुदैव्येजनेऽभिद्रोहंमनुष्या ईश्वरांमसि / अ- 353 // For Private and Personal Use Only

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