Book Title: Shadavashyak Ki Upadeyta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 8
________________ भावार्पण परमात्म अक्ति और गुरु निष्ठा जिनके रोम-रोम में रमती है। पटोपकार जिनका व्यसन और आत्म संयम में जिनकी अनुरक्ति है। जीवन जिनका स्वभावतः कल्याणी और सृजन समर्पित हैं। जिनके विचरण से जागृत हुई जैन संघ की युवा शक्ति है। सेसे ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक पूज्य मनोज्ञ सागरजी म.सा. युवा मनीषी पूज्य ललितप्रध्य सागरजी म.सा. प्रवचन प्रध्याकर पूज्य चन्द्रप्रय सागरजी म.सा. मधुर भाषी पूज्य पीयूष सागरजी म.सा. लेखन कला के जादुगर पूज्य मनितप्रध्य सागरजी म.सा. स्वाध्याय श्रेष्ठ पूज्य सम्यकरत्न सागरजी म.सा. अध्यात्म योगी पूज्य महेन्द्र सागरजी म.सा. संयम उत्कर्षी पूज्य मनीष सागरजी म.सा. आदि मुनि पुंगवों के शासन सेवारत संयमी जीवन को श्रद्धायावेन समर्पित

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