Book Title: Santukumar Chariya Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi Publisher: L D Indology Ahmedabad View full book textPage 9
________________ ..... ..... .... : भूमिका ... प्रास्ताविक - अहीं जेने मुख्य कृति तरीके आपवामां आवी छे ते 'सनत्कुमारचरिउ'एटले के सनत्कुमारचरित कोई स्वतंत्र रचना नथी, पण हरिभद्रसूरिना अपभ्रंश महाकाव्य . 'नेमिनाहचरिय' (=नेमिनाथचरित)नो ज एक भाग छे. चित्रगति विद्याधर तरीकेना नेमिनाथना त्रीजा भवमा एक आडकथा लेखे आ सनत्कुमारचरित आपवामां आव्युं छे. शरदऋतुमा पोताना परिवार अने मित्रो साथे बेठेला चित्रगतिने सुमति नामनो बंदी पोते एक चारणमुनिनी पासेथी सांभळेलु सनत्कुमार चक्रवर्तीन कथानक मनोविनोदने माटे कही संगळावे छे. चित्रगतिभवना वृत्तान्तना ६८३ छंदोमांथो ३४३ छंदोमां-एटले के अरधा जेटला भागमा सनत्कुमार चरित गूंथेलु छे. ते ४४४मा छंदथी शरू थाय छे, अने ७८६मा छंदमां पूरे थाय छे. हरिभद्रसूरिना 'नेमिनाहचरिय'नी बे हस्तप्रतो मळे छे. एक जेसलमीरनी ताडपत्रनी प्रत (आशरे १३मी सदी पहेलांनी) अने बीजी ला. द, भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरमांना विजयदेवसूरि संग्रहनी कागळनी प्रत (आशरे सोळमी के सत्तरमी सदीनी). जेसलमीरनी प्रत · प्राचीन, घणी ज शुद्ध अने विश्वसनीय छे. प्रस्तुत 'सनत्कुमारचरित'नो पाठ पण तेने आधारे ज तैयार करवामां आव्यो छे. कचित्. ज्यां कागळनी प्रतमां लेखनफेर छे त्यां पाठफेर , नोध्यो छे. पण कागळनी प्रत अने ताडपत्रनी प्रतमा एकनी एक ज पाठपरंपरा छे. फरक कोई कोई अक्षरो पूरतो. मर्यादित छे............ .... हरिभद्रसूरिए 'नेमिनाहचरिय' वि० सं० १२१६मां (ई० स० ११६०मां) अणहिल्लवाडपाटणमा कुमारपालना राज्यमां रच्यु. आ चरित्र रचवामाटे राजाना मन्त्री पृथ्वीपाले * हरिभद्रसूरिने प्रार्थना करेली. हरिभद्रसूरिए नेमिनाथना चरित उपरांत वाकीना पण त्रेवीशे य तीर्थकरोना चरित रचेलां छे. तेमांथो तेमनां अजितनाथ, चन्द्रप्रभ अने मल्लिनाथ तीर्थकरनां प्राकृत भाषामां रचेला चरित प्राप्त थयां छे. पण हजी सुधी ते कृतिओ हस्तप्रतरूपे ज छे. संपादित के प्रकाशित नथी थई. हरिभद्रसूरि वडगच्छ के बृहद्गच्छना जिनचंद्रसूरिना प्रशिष्य अने. श्रीचंद्रसूरिना शिष्य हता. तेमणे रचेलां चोवीश तीर्थंकरोनां चरितोनुं श्लोकप्रमाण ... * भा. पृथ्वीपाल मन्त्री विशेनी तथा हरिभद्र विशेनी विगतो माटे 'नेमिनाहचरिय'नी . भूमिका जोवी:Page Navigation
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