Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 12
________________ हने० हरिभद्रकृत नेमिनाहचरिय ११६० त्रिश० हेमचंद्रकृत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित ११६५ (लगभग) उदो० रत्नप्रभकृत उपदेशमालादोघटीवृत्ति ११८२ जैन परंपरामां सनत्कुमारना चरित्रनो क्रमे क्रमे विकास थयो छे. तेना विकसित रूपमा ते त्रण घटकोनुं बनेलं होवानुं जोई शकाय छे : (१) पूर्वभवनो वृत्तान्त, (२) चक्रवर्ती-पदनी प्राप्ति सुधीनो वृत्तांत, (३) चक्रवर्ती-पदनो त्याग अने श्रमणजीवननो वृत्तांत. आमाथी आरंभमां सनत्कुमारचं चरित्र मात्र त्रीजा घटक प्रतुं मर्यादित हतुं, पछीथी बीजा घटकनो अने छेवटे पहेला घटकनो उद्भव थयो एम मानवाने कारण छे. 'वसुदेवहिंडी'मां तथा 'उत्तरपुराण', 'वृहत्कथाकोश' वगेरमा मळती दिगंबर परंपरामा मात्र त्रीजा घटकवाळो ज वृत्तांत छे. अने 'बृहत्कथाकोश,' 'धर्मोपदेशमालाविवरण, 'उत्तराध्ययन-वृत्ति' मने 'आख्यानकमणिकोशवृत्ति' मां पूर्वकर्मने कारणे उद्भवेला रोगपरिपहने उपचारकर्म विना समतापूर्वक सहेवाना उदाहरण लेखे सनत्कुमारचरित्र अपायुं छे. ते उपरथी पण उपर्युक्त त्रीजो घटक ए ज मूळ कथांश होवानी अटकळने समर्थन मळे छे. . चरित्रनो त्रीजो घटक विकसित रूपना चरित्रमा त्रीजा घटकनी मुख्य मुख्य विगतो माटली छः सौधर्मेन्द्रे करेली सनत्कुमारना रूपातिशयनी प्रशंसा, वे देवोए सनत्कुमारनी बे वार लीधेली मुलाकात, सनत्कुमारनो वैराग्य अने श्रामण्य, रोगोनो उद्भव, इंद्र करेली सहनशीलतानी प्रशंसा, परीक्षा करवा वे देवोनुं वैधवेशे आगमन, सनत्कुमारे करेलं लव्धिन प्रदर्शन अने बोध, सनत्कुमारनुं स्वर्गगमन. - उपु०मां अपायेलं चरित्र सौथी ढूंकुं छे. तेमा मात्र उपर्युक्त त्रीजा घटकने लगती सौधर्मेन्द्रे करेली सनत्कुमारना रूपातिशयनी प्रशंसा, कौतुकथी बे देवोए सनत्कुमारने प्रत्यक्ष जोईने करेली खातरी, ते देवोए मनुष्यनां रूप यौवन वगेरेनी नश्वरतानो करेलो निर्देश, सनत्कुमारनो वैराग्य अने श्रामण्यं अने कठिन तपने अंते निर्वाणप्राप्ति-एटली ज वीगतो छे. पुष्पदंतना 'महापुराण'मां पण उपु० वाळी कथानु ज अनुसरण छे. . . वहिं०मां पण मात्र त्रीजा घटकवाळो वृत्तांत अपायो छे. पण तेमां केटलीक नवी विंगतो उमेरायेली जोई शकाय छे. तपास करवा भावनार देवो सामानिक देवो छे. तेओ ब्राह्मणर्नु रूप धरीने, सनत्कुमार तेलनो अभ्यंग करीने

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