Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 11
________________ [१०] लिङ्ग नियम ४१, समास नियम ४१ । 'उक्तार्थानामप्रयोगः' नियम का ज्ञापन ४२ । उपसंहार ४४ । ३-मागोजि भट्ट पर्यालोचित भाष्यसम्मत अष्टाध्यायीपाठ ४६ ४-अनन्तराम-पर्यालोचित भाष्यसम्मल सूत्रपाठ ५-मूल पाणिनीय शिक्षा सूत्रात्मिका शिक्षा ६२, लघु और वृद्धपाठ ६३, आपिशल शिक्षा और पाणिनीय शिक्षा ६४, पाणिनीय शिक्षा का वृद्धपाठ ६७, लघुपाठ और वृद्धपाठ की तुलना ६६ ।। - पाणिनीय [सूत्रात्मिका] शिक्षा के वृद्ध और लघुपाठ-७१, स्थान-प्रकरण ७१, करण-प्रकरण ७३, अन्तःप्रयत्न-प्रकरण ७३, बाह्यप्रयत्न-प्रकरण ७४; स्थानपीडन-प्रकरण ७६, वृत्तिकार-प्रकरण ७६, प्रक्रम-प्रकरण ७७, नाभितल-प्रकरण ७८ । ६--जाम्बवतीविजय के उपलब्ध श्लोक वा श्लोकांश ८२ ७-समुद्रगुप्त विरचित कृष्णचरित का उपलब्ध ग्रंश ३ -'पदप्रकृतिः संहिता' पर विशेष विचार ९-'सं०व्या०शा०६०' पर श्री जार्ज कार्डीना का अभिमत १०६ १०-संशोधन-परिवर्तन-परिवर्धन प्रथम भाग में-पृष्ठ १२४; द्वितीय भाग में पृष्ठ १३१ ११-'सं० व्या० शा० इ०' के लेखन-कार्य में विशिष्ट विद्वानों के सहयोगात्मक पत्र १२--उद्धृत व्यक्ति-वेश-नगर प्रावि नामों की सूची (तीनों . भागों में निविष्ट) १०१ १२४ सं० च्या० शा० के तृतीय भाग में परिवर्षन संशोधन सं० व्या० शा के इतिहास ग्रन्थ में पृष्ठ संख्या-निर्देश पूर्वक निर्दिष्ट कतिपय ग्रन्थों का विवरण मात्म-परिचय

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