Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 761
________________ ७२४ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास लिङ्गानुशासन), फिट-सूत्र और प्रातिशाख्यों के प्रवक्ता तथा व्याख्यातायों का वर्णन होगा। ग्रन्थ के अन्त में व्याकरण के दार्शनिक ग्रन्थों और व्याकरणप्रधान काव्यों के रचयिताओं का भी उल्लेख किया जायगा। ५ इत्यजयमेरु (अजमेर) मण्डलान्तर्गत विरञ्च्यावासाभिजनेन श्रीयमुनादेवी-गौरीलालाचार्ययोर् आत्मजेन पद-वाक्य-प्रमाणज्ञ-महावैयाकरणानां श्रीब्रह्मदत्ताचार्याणामन्तेवासिना भारद्वाजगोत्रेण त्रिप्रवरेण माध्यन्दिनिना युधिष्ठिर मीमांसकेन विरचिते संस्कृत-व्याकरणशास्त्रेतिहासे प्रथमो भागः पूर्तिमगात् शुभं भवतु लेखकपाठकयोः। लेखन-काल ] पुनः शोधन-काल । पुनः परिवर्धन काल सं० २००३, सं० २००६ । सं० २०१६५ पुनः परिष्कार वा परिवर्धनकाल वि० सं० २०२६४ . अन्तिम परिष्कार वा परिवर्धन काल वि० सं० २०४१ १. इसके अनुसार संवत् २००३ के अन्त में लाहौर में ग्रन्थ का छपना ... आरम्भ हुआ था। १५२ पृष्ठ तक छप पाया था कि देश-विभाजन के कारण छपा हुआ ग्रन्थ वहीं नष्ट हो गया। २. यह प्रथम संस्करण का काल है। २५ ' ३. यह द्वितीय संस्करण का काल है। . ___४. यह तृतीय संस्करण का काल है।

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