Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak Author(s): Shripad Damodar Satvalekar Publisher: Rajpal and Sons View full book textPage 7
________________ यह मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि प्रतिदिन एक घंटा प्रयत्न करने से एक वर्ष के अन्दर इस पुस्तक की पद्धति से व्यावहारिक संस्कृत भाषा का ज्ञान हो सकता है । परन्तु पाठकों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि केवल उत्तम शैली से ही काम नहीं चलेगा, पाठकों का यह कर्तव्य होगा कि वे प्रतिदिन पर्याप्त और निश्चित समय इस कार्य के लिए अवश्य लगाया करें, नहीं तो कोई पुस्तक कितनी ही अच्छी क्यों न हो, बिना प्रयत्न किए पाठक उससे पूरा लाभ नहीं उठा सकते। अभ्यास की पद्धति (1) प्रथम पाठ तक जो कुछ लिखा है, उसे अच्छी प्रकार पढ़िए । सब ठीक से समझने के पश्चात् प्रथम पाठ को पढ़ना प्रारम्भ कीजिए । (2) हर एक पाठ पहले सम्पूर्ण पढ़ना चाहिए, फिर उसको क्रमशः स्मरण करना चाहिए; हर एक पाठ को कम-से-कम दस बार पढ़ना चाहिए । ( 3 ) हर एक पाठ में जो-जो संस्कृत वाक्य हैं, उनको कंठस्थ करना चाहिए तथा जिन-जिन शब्दों के रूप दिए हैं, उनको स्मरण करके, उनके समान जो शब्द दिए हों, उन शब्दों के रूप वैसे ही बनाने का यत्न करना चाहिए । (4) जहाँ परीक्षा के प्रश्न दिए हों, वहाँ उनका उत्तर दिए बिना आगे नहीं बढ़ना चाहिए। यदि प्रश्नों का उत्तर देना कठिन हो, तो पूर्व पाठ दुबारा पढ़ना चाहिए। प्रश्नों का झट उत्तर न दे सकने का यही मतलब है कि पूर्व पाठ ठीक प्रकार से तैयार नहीं हुए । (5) जहाँ दुबारा पढ़ने की सूचना दी है, वहाँ अवश्य दुबारा पढ़ना चाहिए । (6) यदि दो विद्यार्थी साथ-साथ अभ्यास करेंगे और परस्पर प्रश्नोत्तर करके एक-दूसरे को मदद देंगे तो अभ्यास बहुत शीघ्र हो सकेगा । (7) यह पुस्तक तीन महीनों के अभ्यास के लिए है। इसलिए पाठकों को चाहिए कि वे समय के अन्दर पुस्तक समाप्त करें। जो पाठक अधिक समय लेना चाहें, वे ले सकते हैं। यह पुस्तक अच्छी प्रकार स्मरण होने के पश्चात् ही दूसरी पुस्तक प्रारम्भ करनी चाहिए।Page Navigation
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