Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 11
________________ 10 पढ़ते हों, तो एक-दूसरे से संस्कृत तथा हिन्दी के वाक्य उच्चारण करके अर्थ पूछने चाहिए, और दूसरे को चाहिए कि वह अर्थ बताए । परन्तु यदि अकेला ही पड़ता हो तो उसे प्रथम ऊंची आवाज़ में प्रत्येक वाक्य दस बार उच्चारण करके तत्पश्चात् संस्कृत वाक्यों की ओर दृष्टि देकर उनका अर्थ भाषा के वाक्यों की ओर दृष्टि न देते हुए मन से लगाने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसा दो-तीन बार करने से सब वाक्य याद हो सकते हैं । जो पाठक इन वाक्यों की ओर ध्यान देंगे उनको उक्त शब्दों से कई अन्य वाक्य स्वयं रचने की योग्यता आएगी और पता लगेगा कि थोड़े-से शब्दों से कितनी बातचीत हो सकती है। शब्द न- नहीं । अस्ति - है । कः - कौन । नास्ति नहीं है । वाक्य 1. अहं न गच्छामि - मैं नहीं जाता हूं । 2. त्वं न गच्छसि - तू नहीं जाता है। 1 3. सः न गच्छति - वह नहीं जाता है । 4. अहं तत्र न गच्छामि - मैं वहां नहीं जाता हूं । 5. त्वं सर्वत्र न गच्छसि - तू सब स्थान पर नहीं जाता है । 6. किं सः न गच्छति-क्या वह नहीं जाता है 1 7. यत्र त्वं न गच्छसि - जहां तू नहीं जाता है 1 8. त्वं न गच्छसि किम् - तू नहीं जाता है क्या ? 9. अहं सर्वत्र न गच्छामि - मैं सब स्थान पर नहीं जाता हूं। सूचना - पाठक यह देख सकते हैं कि केवल एक 'न' ( नकार) के उपयोग से कितने नये उपयोगी वाक्य बन गए हैं। अब 'क' शब्द का उपयोग देखिए1. कः तत्र गच्छति - कौन वहां जाता है ? 2. कः सर्वत्र गच्छति - कौन सब स्थान पर जाता है ? 3. तत्र कः न गच्छति-वहां कौन नहीं जाता ? 4. कः सर्वत्र न गच्छति - कौन सब स्थान पर नहीं जाता ? 5. कः तत्र अस्ति - कौन वहां है ? 6. तत्र कः अस्ति - वहां कौन है ? 7. अस्ति कः तत्र - है कौन वहां ?

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