Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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श्रीजिनमहसनामस्तोत्रम् . . वामाय वामदेव नमोस्तु ते॥ १३ ॥ सुनिःक्रांताय घोराय पर प्रशममीयुषे। केवलज्ञानसंसिद्धावीशानाय नमोस्तु ते ॥१४॥ पुरुस्तत्पुरुषत्वेन: विमुक्तपदभागिने । नमस्तत्पुरुषावस्था भावनानघ विभ्रते ॥१५॥ ज्ञानावरणनिर्हास नमस्तेऽनन्तचक्षुषे । दर्शनावरणोच्छेदान्नमस्ते विश्वदर्शिने ॥ १६ ॥ नमो दर्शनमोहादिक्षायिकामलदृष्टये। नमश्चारित्रमोहने विरागाय महोजसे ॥ १७ ॥ नमस्तेऽनन्तवीर्याय नमोनंतसुखाय ते ।। नमस्तेऽनतलोकाय लोकालोकविलोकिने॥१८॥नमस्तेऽनंत

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