Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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श्रीजिनसहसनामस्तोत्रम् वस्थातिरिक्तामलात्मने।नमस्तेवीतसंज्ञाय नमःक्षायिकदृष्टये ॥३०॥ अनाहाराय तृप्ताय नमः परमभाजुषे । व्यतीताशेषदोषाय भवाद्वै पारमीयुषे ॥३शा अजराय नमस्तुभ्यं नमस्तेतीतजन्मने । अमृत्यवे नमस्तुभ्यमचलायाक्षरात्मने ॥३२॥ अलमास्तां गुणस्तोत्रमनन्तास्तावका गुणाः । त्वन्नामस्मृति मात्रेण परमं शं प्रशास्महे ॥३३॥ इति प्रस्तावना
: . प्रसिद्धाष्टसहस्रद्धलक्षणस्त्वं · गिरांपतिः । नानामष्ट

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