Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 12
________________ ....श्रीजिनसहस्रनामस्तोत्रम् दोषाय ते नमः॥२४॥ नमः सुगतये तुभ्यं शोभनागतमीयुषे । नमस्तेऽतीन्द्रियज्ञानसुखायानिन्द्रियात्मने ॥२५॥ कायबंधननिर्मोक्षादकायाय नमोस्तु ते। नमस्तुभ्यमयोगाय योगिनामपि योगिने ॥२६॥ अवेदाय नमस्तुभ्यमकषायाय ते नमः।नमः परमयोगीन्द्रबंदितांघिद्वयाय ते ॥२७॥ नमः परमविज्ञान नमः परमसंयम । नमः परमहरदृष्टपरमार्थाय ते नमः ॥२८॥ नमस्तुभ्यमलेश्याय शुक्ललेश्यांशंकस्पृशे । नमो भव्येतरावस्थाव्यतीताय विमोक्षणे ॥२९॥ संज्ञासंज्ञिद्वया

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