Book Title: Sanmatitarka Prakaranam Part 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 13
________________ टीका-टिप्पण्युपयुक्तावतरणस्थानानां संकेताः। अभिधानचिन्तामणिकोशः। अष्टशती। अभिधान अष्टश० आप्तपरीक्षाप्रस्तावना। आवश्यकनि० नवकारनि० आवश्यक हारि० कल्पसू० मू० कुमारसं० केवलिभुक्तिप्रकरणम् गोम्मटसारः गं० श्लो० वा० चरकसंहिता। जैनतर्कपरि० शानबिं० तत्त्वार्थ० व्या० तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालङ्कारः। तत्त्वोप०लि. त्रिशिकाविज्ञ त्रिशिंकाविज्ञ० भा० नयनप्रसादिनी चित्सुखी। नियमसारः। नन्दि० चू०लिं० लि. नन्दि० म० नन्दिसूत्रवृत्तिः । नन्दि० ल० वा० लि. आवश्यकनियुक्तौ नमस्कारनियुक्तिः। आवश्यकस्य हरिभद्रीया वृत्तिः । कल्पसूत्रमूलम् । कुमारसंभवटीका। शाकटायनविरचितं केवलिभुक्तिप्रकरणम् । गङ्गानाथझाकृतानुवादं श्लोकवार्तिकम् । जैनतर्कपरिभाषा। ज्ञानबिन्दुः। तत्त्वार्थव्याख्या। तत्त्वोपप्लवः लिखितः। त्रिशिकाविज्ञप्तिः वसुबन्धुकृता। त्रिंशिकाविज्ञप्तिभाष्यम् स्थिरमतिकृतम् । नन्दिसूत्रचूर्णिः लिम्बडीभण्डारसत्का लिखिता। नन्दिसूत्रमलयगिरिटीका नन्दिसूत्रलघुटीका वाडीपार्श्वनाथभण्डार सत्का लिखिता। धर्मकीर्तिकतन्यायबिन्दोष्टीका। धर्मकीर्तिकृतन्यायबिन्दोष्टीकायाष्टिप्पणी। न्यायमञ्जरी। न्यायसिद्धान्तमुक्तावलिकारिका । ध० न्या० टी० । न्यायबिं० टी० ध० न्या०टी०टिक न्यायमञ्ज० न्यायसि० मु० का० । मुक्ताव परीक्षामुखम्। प्रमाणप० प्रमाणमी० प्रज्ञाप० बृहद्रव्यसंग्रहः। महाभा० " वनप० रक्षाकराव० रामाय० अरण्य० लघीयत्र० प्रमाणपरीक्षा। प्रमाणमीमांसा। प्रज्ञापनासूत्रम् । महाभारतम् । , वनपर्व। रत्नाकरावतारिका। रामायणम् अरण्यकाण्डः। लघीयस्त्रयम्।

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