Book Title: Sanmati Prakaran
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi, Shantilal M Jain
Publisher: Gyanodaya Trust

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Page 261
________________ JTS जन आगुम् २, ७३, ८२,८४, ८७, तद्रव्यकरिण ६६ पी टि... १-१३,७३-७५, तर्क आगमवाद ९४ TE जनसाह जा मी पा Eि - तालरासक २४, २७, २८, - तीर्थकर ४७, १००, १०३,.. जैन धर्म प्रसारक सभा ९६ पा "टि त्यागाश्रम १०० पाटि त्यागाश्रम १०४ ' . जन साहित्य और इतिहास ११पाटि त्रिपदी , माहित्य और महाकाल मन्दिर ३१ त्रिभुवनगिरि ७२ . '... " त्रिशिका ६४,६५, ८ ." जैन साहित्य संशोधक , २ पाटिं; दर्शन ४६,९१, १२, ज्ञानमामासा ८पा टि .३ ८४, शनि सहवाद ९२० 51 जनेन्द्रव्याकरण S ir, Fri, दर्शन अने चिन्तन १०१ पाटिं, जैमिनीय-मत ४६, ६शन ९६पाटि दर्शन और चिन्तन ४७ पा. टि . शान ४१, ९१, १२; मीमांसा पा टि ८२, ११२ i , -, 1 की दर्शनप्रभावकशास्त्र ४ . ' जानकाण्ड ई --52-77, . ' दलसुखभाई मालवणिया १४ पाटि . शानविन्द्र ५७ पाट पर टि ४०, ४७, ११६, ११६ ज्ञेयमीमासा ८२ CONSi' ' दशगणकालक ११८ ) 33 ज्योतिर्विदभिरण पाEि-Fi दशवकालिकसूत्र ११९ -णि व पी, प्रो १को ६४,१६६६ पाटी दशणि ३ .... Top तस्वीन १५,१०९ दिगैम्बर ५.७, (-पर५२।१६, १४३, तत्पबोधविधायिनी टीका २, ५३, ५८-६०, ६९, ७७, १३१ ITF Mr- FEM सम्प्रदाय' १ .}. TET तत्वसंग्रह ५ म्याटि ,६७,२०,९४, दिना९-१ळी पा? टि, २-१५ ९५; -५जिका ६८ पETr} ६६-६८, १०८ पा. टिं, ११४पर तत्पात ९१ . ११६ , -, - 1. तत्वार्य (सूत्र) १०, ३८ पाटि', ४४) दीघनिकाय ८३ । ' ४२, ८४, ११७ पा 'टि, ११२' दुर्वक मिश्र ६८ पा' टि' . ! -टीको ५३. 'पा टि-भाष्य ३८- दृष्टान्त ११२ ५४०९, माध्यवृत्ति ३.५, ३८, ५७, दृष्टिप्रबोध ११० - ५८ पा टिः,-लोककातिक ८९ दृष्टिवाद ८२ पा टि , ९४ ,' ! ! देवनन्दी, पूज्यपाद:१०, ११,

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