Book Title: Sanmati Prakaran
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi, Shantilal M Jain
Publisher: Gyanodaya Trust

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Page 267
________________ विशेषावश्यकमाष्य ५ पा. टि, ११, शब्दात ८५, ८६, ९१ ४९-५३, ५५, ५६, ८० शाकरमत ८६ વીતરાવ ૪૦ शाकटायन ४८ वीर निवणिसवत् और जन काल- शान्त रक्षित ८ पा टि, ९० गणना ६ पा टि शान्तिसूरि, वादिवताल ६१, ७०, ७१ वीरसेन ५८ शासनदेवी १९, २० वीरस्तुति २३, २४ शास्त्र, प्रायश्चित्तविधायक २० वृद्धवादी४पा टि, ७, १७, १९, २५- शास्त्रवातासमु य ५० पा टि., ५७ । ३०, ३४ शिव १०३, -लिग २३, ३३ वृद्धाचार्य ५६ शिवस्वामी ४ पा टि ५ ७४ शिवार्य ११९ वेद बत्तीसी (वेदवादद्वानिशिका) । शीलाक ६१ १००, १०९ शुक्लध्यान ११० वदिकदर्शन ९७, ९८ રાદ્ધાત ૮૬ वैद्य पी एल, प्रो १२, १३ पा टि शून्यतावादी ९ पा टि, ६३, ६४ वैभाषिक ९१ शून्यत्वभावना ६३, ६४ वशेषिक ४२, ९१, -दर्शन १४, ३९, शून्यवाद ३९, ६४, ९०, १०९ ९४, १००, १०९, -नयायिक ४६ शौरसेनी प्राकृत ७८ वशेषिक बत्तीसी १०९ श्रद्धा और ज्ञान को एक्य ४१ વોલિસૂત્ર ૭૪ श्रद्धावाद ९४ व्यजनपर्याय ८९, ९१, ११२ श्रमणधर्म १०४ व्यजनावग्रह १२३ श्रमण भगवान् महावीर १२०, १२३ व्यय ११२ श्रवणबेलगोला ८ पा टि व्यवहारनय ८८, ८९ श्रीभाष्य ८८ व्याकरण महाभाष्य ८३ श्रुतकेवली १ शकरस्वामी १५, ६६, ६७ श्रुतज्ञान ४ शकराचार्य ७९ श्रुतसेन ७ पा टि शकु ७ पा टि श्रुति ४६, ९८ शतपयब्राह्मण ८२ श्लोक वार्तिक ६० शब्द-अर्थ सम्बन्ध ९० श्वेताम्बर परम्परा (सम्प्रदाय) १, शब्दनित्यत्ववाद ९० १०, ३७,४३, ६९, ७७, ९३, ११७, दब्रह्मवाद ९१ १२०

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